Piyush Sharma

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पाण्डव यदि केवल पाँच ग्राम लेकर सुख से रह सकते थे, तो विश्व-शान्ति के लिए दु:ख कुछ और न क्या सह सकते थे? सुन कुटिल वचन दुर्योधन का केशव न क्यों यह कहा नहीं- “हम तो आये थे शान्ति-हेतु, पर, तुम चाहो जो, वही सही।
रश्मिरथी
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