Piyush Sharma

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“तुम भड़काना चाहते अनल धरती का भाग जलाने को, नरता के नव्य प्रसूनों को चुन-चुन कर क्षार बनाने को। पर, शान्ति-सुन्दरी के सुहाग पर आग नहीं धरने दूँगा, जब तक जीवित हूँ, तुम्हें बान्धवों से न युद्ध करने दूँगा।
रश्मिरथी
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