Piyush Sharma

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शत लक्ष मानवों के सम्मुख दस-पाँच जनों का सुख क्या है? यदि शान्ति विश्व की बचती हो, वन में बसने में दुख क्या है? सच है कि पाण्डुनन्दन वन में सम्राट् नहीं कहलायेंगे, पर, काल-ग्रन्थ में उससे भी वे कहीं श्रेष्ठ पद पायेंगे।
रश्मिरथी
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