Piyush Sharma

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“वैभव-विलास की चाह नहीं, अपनी कोई परवाह नहीं, बस, यही चाहता हूँ केवल, दान की देव-सरिता निर्मल करतल से झरती रहे सदा, निर्धन को भरती रहे सदा!
रश्मिरथी
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