Piyush Sharma

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“यह, शायद, इसलिए कि अर्जुन जिये, आप सुख लूटें, व्यर्थ न उसके शर अमोघ मुझपर टकरा कर टूटें। उघर करें बहु भाँति पार्थ की स्वयं कृष्ण रखवाली, और इधर मैं लड़ूँ लिये यह देह कवच से खाली।
रश्मिरथी
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