Swapnil Dharpawar

30%
Flag icon
“धनराशि जोगना लक्ष्य नहीं, साम्राज्य भोगना लक्ष्य नहीं, भुजबल से कर संसार-विजय, अगणित समृद्धियों का संचय, दे दिया मित्र दुर्योधन को, तृष्णा छू भी न सकी मन को।
रश्मिरथी
Rate this book
Clear rating