Swapnil Dharpawar

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“सच है, मेरी है आस उसे, मुझपर अटूट विश्वास उसे, हाँ, सच है मेरे ही बल पर, ठाना है उसने महासमर। पर, मैं कैसा पापी हूँगा, दुर्योधन को धोखा दूँगा?
रश्मिरथी
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