Swapnil Dharpawar

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“अरे, कौन है भिक्षु यहाँ पर? और कौन दाता है? अपना ही अधिकार मनुज नाना विधि से पाता है। कर पसार कर जब भी तुम मुझसे कुछ ले लेते हो, तृप्त भाव से हेर मुझे क्या चीज़ नहीं देते हो?
रश्मिरथी
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