Pratibha Pandey

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“मैत्री की बड़ी सुखद छाया, शीतल हो जाती है काया, धिक्कार-योग्य होगा वह नर, जो पाकर भी ऐसा तरुवर, हो अलग खड़ा कटवाता है, खुद आप नहीं कट जाता है।
रश्मिरथी
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