Pratibha Pandey

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“और दान, जिसके कारण ही हुआ ख्यात मैं जग में, आय है बन विघ्न सामने आज विजय के मग में। व्रह्मा के हित उचित मुझे क्या इस प्रकार छलना था? हवन डालते हुए यज्ञ में मुझको ही जलना था?
रश्मिरथी
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