Onkar Thakur

24%
Flag icon
केवल दो नर न अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे। कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय!’
रश्मिरथी
Rate this book
Clear rating