Onkar Thakur

73%
Flag icon
दाहक कई दिवस बीते; पर, विजय किसे मिल सकती थी, जब तक थे द्रोण-कर्ण जीते? था कौन सत्य-पथ पर डटकर, जो उनसे योग्य समर करता? धर्म से मार कर उन्हें जगत् में, अपना नाम अमर करता?
रश्मिरथी
Rate this book
Clear rating