Avinash K

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“रहा नहीं ब्रह्मास्त्र एक, इससे क्या आता-जाता है? एक शस्त्र-बल से न वीर, कोई सब दिन कहलाता है। नयी कला, नूतन रचनाएँ, नयी सूझ, नूतन साधन, नये भाव, नूतन उमंग से, वीर बने रहते नूतन।
रश्मिरथी
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