anand  pathak

37%
Flag icon
“महाराज, उद्यम से विधि का अङ्क उलट जाता है, क़िस्मत का पाशा पौरुष से हार पलट जाता है। और उच्च अभिलाषाएँ तो मनुज मात्र का बल हैं, जगा-जगा कर हमें वही तो रखतीं नित चंचल हैं।
रश्मिरथी
Rate this book
Clear rating