रश्मिरथी
Rate it:
Read between January 26 - January 31, 2024
5%
Flag icon
ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है, दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है। क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग, सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।
5%
Flag icon
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतलाके, पाते हैं जग से प्रशस्ति अपना करतब दिखलाके। हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींचकर ही रहते हैं इतिहासों में लीक।
6%
Flag icon
नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में, अमित वार लिखते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में। समझे कौन रहस्य? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल, गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े क़ीमती लाल।
11%
Flag icon
आयी है वीरता तपोवन में क्या पुण्य कमाने को?
21%
Flag icon
सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं।
21%
Flag icon
है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में? खम ठोंक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़। मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है।
21%
Flag icon
कङ्करियाँ जिनकी सेज सुघर, छाया देता केवल अम्बर, विपदाएँ दूध पिलाती हैं, लोरी आँधियाँ सुनाती हैं। जो लाक्षा-गृह में जलते हैं, वे ही शूरमा निकलते हैं।
30%
Flag icon
जीवन का मूल समझता हूँ, धन को मैं धूल समझता हूँ,
31%
Flag icon
“प्रासादों के कनकाभ शिखर, होते कबूतरों के ही घर, महलों में गरुड़ न होता है, कंचन पर कभी न सोता है। बसता वह कहीं पहाड़ों में, शैलों की फटी दरारों में।
37%
Flag icon
“महाराज, उद्यम से विधि का अङ्क उलट जाता है, क़िस्मत का पाशा पौरुष से हार पलट जाता है। और उच्च अभिलाषाएँ तो मनुज मात्र का बल हैं, जगा-जगा कर हमें वही तो रखतीं नित चंचल हैं।
41%
Flag icon
“वह करतब है यह कि युद्ध में मारो और मरो तुम, पर, कुपन्थ में कभी जीत के लिए न पाँव धरो तुम। वह करतब है यह कि सत्य-पथ पर चाहे कट जाओ, विजय-तिलक के लिए करों में कालिख पर, न लगाओ।
65%
Flag icon
हाँ, धर्मक्षेत्र इसलिए कि बन्धन पर अबन्ध की जीत हुई, कर्त्तव्यज्ञान पीछे छूटा, आगे मानव की प्रीत हुई। प्रेमातिरेक में केशव ने प्रण भूल चक्र सन्धान किया, भीष्म ने शत्रु को बड़े प्रेम से अपना जीवन दान दिया।
79%
Flag icon
“मही का सूर्य होना चाहता हूँ, विभा का तूर्य होना चाहता हूँ। समय को चाहता हूँ दास करना, अभय हो मृत्यु का उपहास करना।
79%
Flag icon
“ग्रहों को खींच लाना चाहता हूँ, हथेली पर नचाना चाहता हूँ; मचलना चाहता हूँ धरा पर मैं, हँसा हूँ चाहता अङ्गार पर मैं।