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“दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख, चर-अचर जीव, जग क्षर-अक्षर, नश्वर मनुष्य, सुरजाति अमर,
रश्मिरथी
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