यह न स्वत्व का त्याग, दान तो जीवन का झरना है, रखना उसको रोक मृत्यु के पहले ही मरना है। किस पर करते कृपा वृक्ष़ यदि अपना फल देते हैं? गिरने से उसको सँभाल क्यों रोक नहीं लेते हैं? ऋतु के बाद फलों का रुकना डालों का सड़ना है, मोह दिखाना देय वस्तु पर आत्मघात करना है। देते तरु इसलिए कि रेशों में मत कीट समायें, रहें डालियाँ स्वस्थ और फिर नये-नये फल आयें।