“पा पाँच तनय फूली-फूली, दिन-रात बड़े सुख में भूली, कुन्ती गौरव में चूर रही, मुझ पतित पुत्र से दूर रही। क्या हुआ कि अब अकुलाती है? किस कारण मुझे बुलाती है? “क्या पाँच पुत्र हो जाने पर, सुत के धन-धाम गँवाने पर, या महानाश के छाने पर, अथवा मन के घबराने पर। नारियाँ सदय हो जाती हैं? बिछुड़े को गले लगाती हैं?