रोक-टोक से नहीं सुनेगा, नृप-समाज अविचारी है, ग्रीवाहर, निष्ठुर कुठार का यह मदान्ध अधिकारी है। इसीलिए तो में कहता हूँ, अरे ज्ञानियो! खड्ग धरो, हर न सका जिसको कोई भी, भू का वह तुम त्रास हरो।‘ “नित्य कहा करते हैं गुरुवर, ‘खड्ग महाभयकारी है, इसे उठाने का जग में हर एक नहीं अधिकारी है। वही उठा सकता है इसको, जो कठोर हो, कोमल भी, जिसमें हो धीरता, वीरता और तपस्या का बल भी।