Mohit

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हारी हुई पाण्डव-चमू में हँस रहे भगवान् थे, पर जीत कर भी कर्ण के हारे हुए-से प्राण थे क्या, सत्य ही, जय के लिए केवल नहीं बल चाहिए कुछ बुद्धि का भी घात; कुछ छल-छद्म-कौशल चाहिए
रश्मिरथी
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