भारत को पोलियो मुक्त बनाने में डॉ0 हर्षवर्धन की पथप्रदर्शक भूमिका

मेरी पत्नी कमला और मेरे लिए यह महीना विशेष महत्व का है, क्योंकि हम दोनों का जन्मदिन नवम्बर में ही पड़ता है। कमला का 27 नवम्बर और मेरा 8 नवम्बर को। मेरी सुपुत्री प्रतिभा ने मुझे सुझाया कि परिवार को दोनों का जन्मदिन 24 नवम्बर (रविवार) को मित्रो को संगीत के कार्यक्रम के साथ-साथ दोपहर के भोजन पर बुलाकर मनाना चाहिये। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले अधिकांश मित्रो ने निजी रूप से मुझे बताया कि समूचे कार्यक्रम हेतु प्रतिभा की योजना सर्वोत्तम थी चाहे वह सजावट हो, या भोजन इत्यादि।


 


copy-book-reimaging-indiaइस अवसर पर मित्रो द्वारा मुझे भेंट की गई पुस्तकों में से एक से मैं अत्यधिक प्रभावित हुआ जो भारत के बारे में थी और जिसका प्रकाशन तथा सम्पादन प्रसिध्द वैश्विक मैनेजमेंट संस्था मेंकेन्जी एण्ड कम्पनी ने किया है। पुस्तक का शीर्षक है: रिइमेजिंग इण्डिया: अनलॉकिंग दि पोटोन्शियल ऑफ एशियाज नेक्सट सुपरपॉवर (Reimagining: Unlocking the potential of Asia’s next Super power).


 


आवरण का पहला फ्लैप पुस्तक का परिचय ऐसी पुस्तक के रूप में कराता है ”जो पृथ्वी पर एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण और सबसे कम समझे जाने वाले राष्ट्र द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों तथा तलाश जाने वाले अवसरों पर दुनियाभर के अग्रणीय चिंतकों ंको एक साथ लाती है।”


 


पुस्तक के परिचय के अनुसार ”विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देने वालों जिनमें सीएनएन के फरीद जकरिया, भारत के निजी क्षेत्र के सर्वाधिक विशाल संगठन के सीईओ मुकेश अम्बानी, माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स, गूगल के चेयरमैन इरिक समिडिट, पुरस्कार विजेता सुकेतु मेहता, एडवर्ड लुसे और पैट्रिक फ्रेंच, इन्फोसिस के सहसंस्थापक और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इण्डिया के चेयरमैन नन्दन नीलेकनी और अन्य अनेक विशेषज्ञ शामिल हैं।


 


विशेषज्ञों के इस संक्षिप्त परिचय के बाद, मैंने तुरन्त देखा कि बिल गेट्स ने भारत के संदर्भ में क्या कहा है। यह देखकर मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि उनके द्वारा लिखे गए लेख का शीर्षक था ”व्हाट आई लर्नड इन दि वॉर (ऑन पोलियो) (What I learned in the war (on polio)A


 


dr-harshvardhanगत् रात्रि को ही मुझे दिल्ली विधानसभाई चुनावों के लिए भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार डा0 हर्षवर्धन द्वारा लगभग एक दशक पूर्व लिखी गई पुस्तक प्राप्त हुई।


 


इस पुस्तक के पहले पृष्ठ पर डॉ0 हर्षवर्धन ने शालीनता से यह उल्लिखित किया हुआ था ”धन्यवाद आदरणीय आडवाणीजी, 1994 में जो कर पाया वह आपके कारण ही संभव हुआ। आज, पिछले तीन वर्षों से हम पोलियो मुक्त देश हैं।


हर्ष,


27.11.2013”


 


बिल गेट्स का लेख जो आज मेरे ब्लॉग का मुख्य विषय है, कहता है कि ”पोलियो उन्मूलन में भारत की उपलब्धि ऐसी सर्वाधिक प्रभावी स्वास्थ्य क्षेत्र सम्बन्धी सफलता है, जैसी मैंने कभी नहीं देखी।”


 


upload-copy-of-tale-of-two-drops-bookजब सन् 2004 में डॉ0 हर्षवर्धन ने ‘ए टेल ऑफ टू ड्राप्स‘ (A Tale of Two Drops) लिखी तो इसकी प्रस्तावना लिखने का अनुरोध मुझसे किया। तीन पृष्ठों की इस प्रस्तावना के पहले दो पैराग्राफ ही बताते हैं कि क्यों मैंने उन्हें भाजपा का मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाने का सुझाव आग्रह से दिया। अपनी प्रस्तावना में मैंने कहा:


 


दस वर्ष पहले, सन् 1994 में मैं इस पुस्तक के लेखक और एक मायने में पोलियोमुक्त भारत के लिए चलाए गए अभियान के प्रमुख प्रवर्तक डा. हर्ष वर्धन के घनिष्ठ संपर्क में आया। वह उसी समय दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री बने थे, साथ ही दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी चुने गए थे।


 


डा0 हर्ष वर्धन के साथ हुई मेरी प्रारंभिक बातचीत में ही उन्होंने मुझे पोलियो उन्मूलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। साथ ही यह भी बताया कि ये प्रयास ब्राजील और फिलीपींस जैसे देशों में किस तरह सफल हुए हैं। उन्होंने बताया कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के पल्स पोलियो अभियान से संबंध्द साहित्य का विस्तृत अध्ययन कर चुके हैं और आश्वस्त हैं कि देश की राजधानी दिल्ली, जो पोलियो से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र है, इस संकट से मुक्त हो सकती है।


 


मैं इस संबंध में डा0 हर्ष वर्धन की उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए उन्हें ह्दय से बधाई देना चाहता हूँ। उन्होंने दिल्ली से अभियान की शुरुआत की और शीघ्र ही यह देशव्यापी अभियान में परिवर्तित हो गया। वस्तुत: पल्स पोलियो अभियान एक ऐसे सबसे बड़े अभियान के रुप में उभरकर साने आया, जिसमें सरकारी और निजी क्षेत्रों की आदर्श भागीदारी देखने को मिली, जो भारत में एक स्वस्थ समाज बनाने में सहायक सिध्द हुई। मुझे प्रसन्ना है कि उन्होंने अपने अनुभवों को इस पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत किया है।


 


अपने लेख में बिल गेट्स लिखते हैं कि बंगलौर पर से उड़ान भरते समय जब हम ”अपने गंतव्य की ओर पहुंच रहे थे, तब मैंने खिड़की से बाहर झांक कर देखा एक बेतरतीव भीड़भरा क्षेत्र, जीर्ण-शीर्ण घर जो मीलों तक फैले हुए थे।” साथ में यात्रा कर रहे एक भारतीय ने गर्व से कहा ”बंगलौर में कोई स्लम नहीं है।”


 


bill-gatesबिल गेट्स ने कुशाग्रतापूर्ण से टिप्पणी की कि ”चाहे इंकार, शर्मिंदगी या निर्दोषता के चलते मेरे सहयोगी दूसरे भारत को नहीं देखते। मेरा अर्थ उन्हें अकेले इंगित करना नहीं है। गरीबों से हमारी नजरें मोड़ना आसान है। परन्तु यदि हम ऐसा करते हैं, तो हम एक समाज की पूर्ण संभव्यता को देखना भूलेंगे।


 


लेखक आगे कहता है:


 


मैं जानता हूं कि उस समय भारत के सर्वाधिक विशेषाधिकार सम्पन्न लोगों - महान बुध्दिमता वाले परिश्रमी और कल्पनाशीलता वाले शिक्षित नागरिकों के साथ सहयोग करने का सौभाग्य मिला। लेकिन जब मेलिण्डा और मैंने भारत में फाउण्डेशन का काम शुरू किया तब हमने उन लोगों से मिलना शुरू किया जो उन क्षेत्रों से थे , जिलके ऊपर से हमने उड़ान भरी थी। वे कम शिक्षित और दयनीय अवस्था में थे, और स्लम व गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे - इनके बारे में अनेक विशेषज्ञों ने हमें बताया कि इनके चलते भारत पीछे है। फिर भी भारत में हमारा अनुभव इसका उल्टा है: कि जिसे कुछ लोग कमजोरी कहते हैं वह इसके बजाय महान शक्ति का स्त्रोत बन सकता है।


 


इसके अलावा बिल गेटस ने हमारे देश के बारे में और प्रशंसा करते हुए कहा कि: भारत द्वारा अपने पोलियो विरोधी अभियान के लिए पूरी राशि उपलब्ध कराना प्रतिबध्दता और आत्मविश्वास का गुंजायमान वक्तव्य है।


 


इस अभियान के मूल्यांकन को सारांश रूप के साथ बिल गेट्स ने अपने लेख की समाप्ति इस तरह की है:


 


”अभियान ने भारत के सर्वोत्तम को प्रदर्शित किया - चाहे वह अनवरत भावना हो, वैज्ञानिक

शक्ति, व्यवसायिक निपुणता, उत्पादक कुशलता, राजनीतिक कल्पनाशीलता और विशाल मानव संसाधन जो दो मिलियन लोगों को तैनात कर सकता है और एक बिलियन की कल्पनाशीलता को जोश से भर सकता है। हां, भारत ने अनेक क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना किया है जो मीडिया में सुव्यवस्थित ढंग से दर्ज हैं। लेकिन पोलिया के विरूध्द लड़ाई में भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि जब इसके लोग एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं, देश एकजुट हो जाता है और इसका व्यापक असर होता है तो भारत की नियति अंतहीन है।”


 


मुझे यह जानकर प्रसन्नता और गर्व होता है कि भारत को पोलियो मुक्त बनाने में भाजपा, और डा0 हर्षवर्धन ने व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभाई है।


 


अत: इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि डॉ0 हर्षवर्धन को इस क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक से अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, रोटरी फाउण्डेशन द्वारा पोलियो इरेडिकेशन चैम्पियन अवार्ड, लॉयन्स क्लब द्वारा इंटरनेशनल सर्विस अवार्ड, रोटरी इंटरनेशनल द्वारा पॉल हेरिस फैलोशिप, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा एपरिसियेशन अवार्ड (दो बार) पा चुके हैं।


 


सन् 2001 में रोटरी द्वारा डा0 हर्षवर्धन को सम्मानित करने के कार्यक्रम में श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें डा0 स्वास्थ्य वर्धन के रूप में वर्णित किया। एक और प्रधानमंत्री श्री इन्द्र कुमार गुजराल ने भी डा. हर्ष वर्धन को उनकी उपलब्धि पर गर्मजोशी से बधाई दी थी। उन्होंने कहा कि ऐसा बेहतरीन स्वास्थ्य मंत्री उनके देखने में कोई और नहीं आया।


  


लालकृष्ण आडवाणी


नई दिल्ली


29 नवम्बर, 2013


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Published on November 30, 2013 05:58
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