कानून बनाएँ मयकशी का कानून-ए-मजहबी की तरह
फिर मिल के जलिल करेँगे पंडित को शराबी की तरह
हर चिज लिख डालने की शिताबी की तरह
हाले दिल कहने लगे हम शायर-ओ-कवि की तरह
गले लगने की ख्वाहीसेँ उछल रहे थे दिल में
लेकिन वो मिले भी तो मिले अजनबी की तरह
इजहार-ए-जजवात-ए-दिल का उम्मिद था हमे
चले गए वो शरमा के जब कभी की तरह
कब तक दूर रहते उन्हे आना ही तो था
आए शब-ए-जिन्दगी मे माहजबी की तरह
शुरू मे तो खुदा सा लगने लगा था प्यार हमे
बाद मे असर करने लगा खराबी की तरह
तजुर्बा न था प्यार-ओ-मुहब्बतका हमे सुमन !
देखते रहे उन्हे कोर्इ तसबीर किताबी की तरह
Suman Pokhrel
Published on August 28, 2013 04:47