लेखन के व्यवसाय में
- अगर आप इसे व्यवसाय मानें - सबसे दुरूह कार्य पुस्तक को लिखना नहीं, पुस्तक को
छपवाना है । भारत में पुस्तक प्रकाशन कोई संगठित व्यवसाय नहीं जैसे कि विदेशों में
है जहां कि लेखक और प्रकाशक के बीच एजेंट नाम की एक कड़ी होती है जिसकी फीस भरना लेखक
कबूल करता है तो शुरूआती दौर में लेखक को प्रकाशक के मत्थे नहीं लगना पड़ता ।
प्रकाशक के पास स्क्रिप्ट की गुणवत्ता जांचने वाले अपने एक्सपर्ट होते हैं या जैसे
विषय की वो पुस्तक हो, वैसे लेखक को - जैसा उपन्यास हो तो किसी ख्याति प्राप्त लेखक
को - प्रक...
Published on June 02, 2013 00:23