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बासमती चावल का चमत्कार


 
 हमें ऐसा लगता है कि इस दुनिया के पति-पत्नी में जितनी लड़ाईयां होती हैं उनमे से ९८.५ %लड़ाइयों का कारण पडोसी होते हैं। बीवी के शिकायतों का पुलिंदा किसी न किसी चाय-सम्मलेन का फल होता है। ऐसे ही किसी सम्मलेन में किसी शुभ-हन्तक ने हमारी बीवी के कान भर दिए। जीवन में गुरूजी महाराज के शरण की सार्थकता का इस तरह महत्व समझाया कि उस दिन के बाद से सुबह और शाम प्रत्येक दिन हमे चाय के साथ ये उलाहना सुनने को मिलती कि हमारे सर पर किसी गुरूजी महाराज का साया नहीं है । इंसान की अपनी बहुत सारी सीमाए होती हैं सो हमारी भी हैं। लगातार कई महीनो से बीवी की प्रताड़ना झेलने के बाद हमने निर्णय ले लिया की बस अब तो एक गुरु महाराज को तो खोज ही निकालेंगे जो हमारी अनगिनत समस्याओं का समाधान निकाल सके। फैसला तो हो चूका था मगर आजकल एक योग्य गुरु की खोज किसी योग्य वर की खोज से भी अधिक कठिन और दुर्गम है । बात की गंभीरता को समझते हुए हमने आज के देवता गूगल की शरण में जाने का मन बनाया . बस फिर क्या था कुछ ही पलों में हमे एक सुयोग्य गुरूजी के विषय में ज्ञान हुआ । उनके वेबसाइट पर उनकी इतनी महिमा का गुणगान किया गया था जिससे एक बार तो विष्णु को भी इर्ष्या हो जाये । उनके नाम से ही आलौलिकता झलक रही थी ‘श्री श्री श्री लुप्तज्ञान कपटप्रिय किर्तिखंडक महाराज ’ । हमारे सौभाग्य से महाराज का एक अधिवेशन हमारे ही नगर में होने वाला था । अपनी स्फूर्ति का परिचय देते हुए हम अविलंभ आजोयक के पास पहुँच गए । वहां पहुँच के तो हमने दाँतों तले उँगलियाँ दबा ली । पास पाने के लिए इतनी प्रतिस्पर्धा जैसे ये पास नहीं इलेक्शन लड़ने का टिकेट हो । हम चुपचाप आयोजक के पास पहुच गए और उनको नमन करके उनके जवाब आने का इंतज़ार करने लगे जो की उसी तरह पूरा नहीं हो पाया जैसे प्रणब दादा का प्रधानमंत्री बनाना का सपना । खैर हमने ही वार्तालाप शुरू किया।
“महोदय, क्या हमे पहचाना?” उसने हमे ऊपर से नीचे तक घूरा और शंकित स्वर में बोला, “अरे हमने पहले ही ग्यारह पेटी पंहुचा दिया है आपकी पार्टी को ।”
“हम कोई पेटी वाले नहीं है…हम तो यहाँ पास लेने आए है ।” हमे ये बात बहुत अखरी की वो हमे कोई पेटी -संदूक वाला समझ रहा था…बताइए भला?
“अरे तो यहाँ क्या कर रहे है वहां लाइन में जाकर खड़े हो जाइए और ३००१ रूपए जमा करा दीजिये ।” उसकी बात सुनकर ऐसा लगा कि टमाटर के दाम फिर बढ़ गए हो ।
“श्रीमान वहां तो शाम हो जाएगी …आप कुछ देखिये ।” हमने हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन किया । वो बड़े ही लापरवाह अंदाज़ में बोला “५००१ रूपए लगेंगे ।” अचानक ही लगा की हमे हृदयाघात आते आते रह गया । हमने ज़रा डर-डर के पूछ ही लिया कि भला २००० ज्यादा क्यों? वो मुस्करा कर बोला , “सर्विस टैक्स ।”
“क्या लेखकों के लिए कोई डिस्काउंट नहीं है ?” उसने कोई जवाब नहीं दिया मगर इस तरह घूरने लगा मानो हमने उसे पेट्रोल की कीमत ३५ रूपए प्रति लीटर बता दी हो । हम चुपचाप जाकर लाइन में खड़े हो जाये । शाम तक जदोजेहद करने के बाद किसी तरह पास का इंतजाम किया । घर पहुँच कर बीवी को बताने का धीरज न था सो फ़ोन करके बता दिया । जब घर पंहुचा तो देखता हूँ श्रीमतीजी दरवाजे पर खड़े होकर हमारा रास्ता देख रही है …मन ही मन लगा कि गुरु का आशीर्वाद पास लेते ही मिलाने लगा है । उस दिन शाम को बीवी ने खाना इतना स्वादिस्ट बनाया कि एक बार तो शक ही हो गया कि कही कोई बावर्ची तो नहीं रख लिया । रात में सोते समय भी हमने पास तकिये के नीचे ही रखा …ये सोचकर कि शायद यहाँ भी कुछ शुभ हो जाए ।
सुबह हम दोनों तैयार हो कर सम्मलेन में गए । वह श्रद्धालु गन अपने अपने समस्याओ का समाधान जानने को उत्सुक थे । आख़िरकार ३ घंटे के इंतज़ार के बाद हमारा नंबर आया … सवाल पूछने का बीड़ा हमारी श्रीमतीजी ने उठाया ।
“महाराज मेरे पति लेखक है मगर आज तक इनका एक ही उपन्यास छप पाया है । कुछ ऐसा उपाए बताए कि घर में धन -धान्य की वर्षा हो जाए?”
“बासमती चावल खाया था?”
“जी महाराज, पिछली बार पड़ोस के वेर्माजी के बेटे की शादी में खाया था ।”
“अपने पैसे का कब खाया था?”
“महाराज, याद नहीं आ रहा।”
“अब से रोज़ बढ़िया बासमती चावल खाओ कल्याण होगा।”
मेरा मनन हर्षित हो गया । न कोई यज्ञ , न पूजा -पाठ …मेरा भी मनन एक सवाल पूछने को मचल पड़ा ।
“महाराज, मेरा भी एक सवाल है ।”
“नहीं बालक तुम्हारा तो एक सवाल हो गया है … बाकी भक्त भी इंतज़ार कर रहे है ।” गुरूजी मुस्करा कर बोले । हमे पहली बार एहसास हुआ की ममता दीदी को कैसा लगा होगा जब कलम साहिब ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से मना कर दिया।
उस सम्मलेन को ६ महीने गुज़र चुके है और तीनो पहर बासमती चावल खाते-खाते बैंक अकाउंट खाली और पेट गैस से भर गया है .इधर सुनने में आया है की हमारे परम पूज्य गुरूजी को भी कारावास की सजा हो गयी है । अब पाठको से ही अनुरोध है की कोई रास्ता सुझाए … ।
 
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Published on April 21, 2013 02:48
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