दो विशिष्ट कार्यक्रम
पिछले सप्ताह के शुरूआत में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुझे, अपनी एक अनूठी योजना का शुभारम्भ करने हेतु भोपाल आमंत्रित किया और मैं मानता हूं कि यह कार्यक्रम, उनके ही एक अत्यन्त कल्पनाशील लाडली लक्ष्मी योजना - कार्यक्रम से ज्यादा नहीं तो कम से कम उसके बराबर ही उन्हें अपने लोगों का प्रियपात्र बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
इस नए कार्यक्रम के तहत 3 सितम्बर की शाम को मैंने लगभग 300 तीर्थयात्रियों से भरी, भोपाल से रामेश्वरम (तमिलनाडु) को जाने वाली एक विशेष रेलगाड़ी को झण्डी दिखाकर रवाना किया।
शुरू की गई इस योजना का नाम है ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना‘। योजना उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए है जो करदाता नहीं हैं; और इस प्रकार सामान्य रूप से देखा जाए तो गरीबी रेखा से नीचे वालों के लिए है।
रेलवे स्टेशन पर, मैं मुख्यमंत्री के साथ पिछले सिरे से एकदम आगे तक पहुंचा जहां से मुझे झण्डी दिखानी थी, इस दौरान रेल के डिब्बों में बैठे तीर्थयात्रियों को देख सका कि अधिकांश दम्पति खुशी से फूले नहीं समा रहे थे कि उन्हें ऐसा असाधारण अवसर मिला है।
इस हेतु भोपाल और आस-पास के जिलों से वरिष्ठ नागरिकों से आवेदन मंगवाए गए थे। लगभग 11000 ने आवेदन दिया। ड्रा के माध्यम से एक हजार का चयन हुआ। शेष 10000 प्रतीक्षा सूची में हैं। सभी की बारी आएगी।
राज्य सरकार द्वारा सत्रह तीर्थ स्थल चुने गए हैं जिनमे केदारनाथ (उत्तराखण्ड), द्वारका पुरी (गुजरात), और जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) सम्मिलित हैं। रामेश्वरम को मिलाकर जहां के लिए रेल रवाना हुई है, यह चारों स्थल हमारे देश के चारों कोनों में स्थित चार धाम कहलाते हैं।
अन्य चयनित पांच स्थल हैं अजमेर शरीफ (राजस्थान), अमृतसर (पंजाब), सम्मेदशिखरजी (झारखण्ड), श्रवण बेलगोला (कर्नाटक) और वेलंगानी चर्च, नागपत्तनम (तमिलनाडु); ये विशेष रूप से मुस्लिमों, सिखों, जैनियों और इसाइयों के पवित्र स्थल हैं।
शेष आठ हैं वैष्णो देवी और अमरनाथ (जम्मू एवं कश्मीर), तिरूपति (आंध्र), बद्रीनाथ और हरिद्वार (उत्तराखण्ड), काशी (उत्तर प्रदेश), शिर्डी (महाराष्ट्र) और गया (बिहार)। मुख्यमंत्री ने मुझे बताया कि जैसे-जैसे योजना आगे बढ़ेगी, वे इस सूची में और स्थल जोड़ने पर विचार करेंगे।
राज्य सरकार ने रेलवे मंत्रालय के साथ मैमोरेण्डम ऑफ अंडरस्टैण्डिंग में हस्ताक्षर किए हैं। और 31 मार्च, 2013 तक के लिए रेल गाड़ियां आरक्षित की हैं।
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मुझे गर्व महसूस होता है कि भाजपा द्वारा संचालित सरकारें अपने-अपने राज्यों के हित में नई-नई और नवोन्मेषी योजनाओं पर विचार करती रहती हैं।
पिछले सप्ताह मैं गांधीनगर में था जहां महात्मा मंदिर के विशाल सभागार में 3900 स्कूली छात्राओं ने पूरे दिन भर शतरंज खेलकर एक विश्व रिकार्ड बनाया; इस कार्यक्रम में हमारे विश्व चैम्पियन विश्वनाथ आनंद मुख्य अतिथि थे।
मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा:
कुछ लोगों ने मुझे कहा कि विधानसभाई चुनाव तेजी से निकट आ रहे हैं, अत: इन दिनों सारे कार्यक्रम मतदाताओं के ही आयोजित किए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री स्कूली बच्चों पर इतना ज्यादा समय क्यों व्यतीत करें?
मोदीजी ने कहा:
स्कूली बच्चों को मतदान का अधिकार नहीं होता। लेकिन मैं मानता हूं कि वे गुजरात का भविष्य हैं, और इसलिए मैं उनकी प्रगति और उपलब्धियों को लेकर इतना ज्यादा चिंतित हूं।
कुमारी घ्यानी दवे नाम की एक छात्रा 150 अन्य छात्राओं के विरूध्द खेली और उनमें से 132 को हराया।
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स के प्रेक्षक इसे प्रमाणित करने के लिए उपस्थित थे और वे इसे अपने आगामी संस्करण में शामिल करेंगे।
इस वर्ष (2012) की लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स ने पहले से ही पृष्ठ 289 पर (सामान्य रिकार्ड/प्रविष्टि सम्बन्धी) दर्ज किया हुआ है जिसमें आयु या लिंग का कोई बंधन नहीं था। यह कहता है:
डब्ल्यू आर: एक स्थान पर शतरंज खेलने वालों की अधिक संख्या
24 दिसम्बर, 2010 को गुजरात के गांधीनगर में स्वर्णिम शतरंज महोत्सव, 2010 के दौरान लगभग 20,500 खिलाड़ियों ने एक साथ खेलकर विश्व रिकार्ड बनाया। विश्व चैम्पियन विश्वनाथ आनन्द इन एक साथ खेलने वालों में मौजूद थे।
टेलपीस (पश्च्यलेख½
सार्वजनिक जीवन में सर्वाधिक बड़ा अपराध क्या है, भ्रष्टाचार या मूर्खता? उत्तर देने के लिए अपना समय लगाइए। यदि भ्रष्टाचार एक राजनीतिक मौत सजा होती तो यूपीए केबिनेट का एक बहुत बड़ा भाग सन् 2009 के चुनावों में जीत नहीं पाता। शायद भ्रष्टाचार को उसके आकार से मापा जाता है। केवल तब जब छोटे-मोटे प्रलोभन लूट में परिवर्तित हो जाते हैं तब मतदाता तय करता है कि बस, बहुत हो गया। इसी प्रकार मूर्खता भी अपार हानि पहुचाती है, संभवतया क्योंकि इसका दण्ड मखौल है। हंसी, न्यायालय की सजा की तुलना में प्रतिष्ठा के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकती है।
डॉ0 मनमोहन सिंह के अधिकारिक मीडिया सलाहकार द्वारा यह सोचना कि वह वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार साइमन डेनयेर को सबक सिखाएंगे और जवाबी आरोपों की झड़ी लगाकर इस प्रक्रिया में भारतीय पत्रकारों को भी सख्त संदेश देंगे, के चलते बगैर बात के एक तूफान खड़ा हो गया । इस अनभिज्ञ विदेशी संवाददाता ने भारत के प्रधानमंत्री की आलोचना करने की अक्षम्य हरकत की। यदि यह डेनयेर को सबक सिखाने के इरादे से था तो इसका उल्टा प्रभाव हुआ। और यदि इसका इरादा भारतीय मीडिया को डराने का था कि एक समाचार जिसे या तो नजरअंदाज कर देना चाहिए था या इसे महत्वहीन मानकर किनारे कर देना चाहिए, का नतीजा और खराब निकला। अधिकारी की तत्परता ने हंसी को न्यौता दिया, और कौन ऐसा है जो ऐसे अवसर को गंवाएगा? यह डा. मनमोहन सिंह द्वारा अनुबंधित किए गए व्यक्ति की उल्टी सेवा की अति है।
मीडिया को ‘मैनेज‘ करने हेतु सरकार किसी भी गैर गुजरे व्यक्ति को अनुबंधित कर सकती है। वह सर्वश्रेष्ठ बन जाता है और जब, उसे एक समाचार रिपोर्ट को ”फिक्स” करने को कहा गया तो वह पत्रकार को ही ”फिक्स” करने लगा।
एम.जे. अकबर
मुख्य संपादक , संडे गार्ज़ियन में
लालकृष्ण आडवाणी
नई दिल्ली
10 सितम्बर, 2012

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