नए राष्ट्रपति से एक अनुरोध

यूपीए सरकार का कार्यकाल मई 2014 में समाप्त होगा। सोलहवीं लोकसभा का चुनाव उससे पूर्व होना अनिवार्य है।


 


pranab-mukherjeeसन् 1952 में भारत में हुए पहले आम चुनावों का मुझे आज भी स्मरण है। पार्टी के हम प्रचार- कर्ताओं को विधानसभाई चुनावों की ज्यादा चिंता थी बजाय लोकसभाई चुनावों के। उन लोकसभाई चुनावों में जनसंघ तीन सीटों पर विजयी रही, दो पश्चिम बंगाल और एक राजस्थान से। लेकिन आज के संदर्भ में जो महत्वपूर्ण है, वह यह जिस पर मैं जोर देना चाहता हूं कि सन् 1952 में लोकसभा और विधानसभाई चुनाव एक साथ सम्पन्न हुए थे।


 


यही प्रक्रिया आगामी तीन चुनावों - 1957, 1962 और 1967 में दोहराई गई थी। पांचवां आम चुनाव 1972 में होना था। लेकिन 1971 की शुरूआत में श्रीमती इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग कर दी और पांचवीं लोकसभा का चुनाव मार्च, 1971 में सम्पन्न हुआ। विधानसभाई चुनाव समयानुसार 1972 में हुए। इस प्रकार लोकसभा और विधानसभाई चुनाव अलग-अलग समय पर होने प्रारम्भ हुए।


 


इस बीच हमारे संविधान में वर्णित धारा 356 जो केन्द्र सरकार को यह अधिकार देती है कि यदि वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि राज्य में सरकार संविधान के अनुसार नहीं चल रही तो वह कभी भी राज्य विधानसभा को भंग कर शासन के सूत्र अपने हाथ में ले सकती है - के परिणामस्वरूप भी विभिन्न राज्यों में चुनावी कार्यक्रम एक-दूसरे से अलग होने के रूप में सामने आए।


 


अत: आज स्थिति यह है कि वर्ष 2010, 2011, 2012 (यानी कि यूपीए-2 के गठन की शुरूआत से) तक बारह विभिन्न राज्यों में चुनाव हो चुके हैं-झारखण्ड और बिहार (2010), केरल, पुड्डुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम (2011), गोवा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और मणिपुर (2012)। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभाओं की अवधि 2013 की जनवरी के अंत तक समाप्त होनी है। अत: सभी संभावनाएं यह हैं कि इन दोनों विधानसभाओं के चुनाव इस वर्ष के अंत तक सम्पन्न कराए जाएंगे। एक प्रकार से, इसके लिए बहुल जनसंख्या वाले हमारे विशाल देश की केन्द्र सरकार निरंतर चुनाव कराने में जुटी रहती है। जब 6 वर्ष के लिए हम एनडीए सरकार में थे तो व्यवहारत: हमें अनुभव हुआ कि कैसे देश के दूर-दराज के एक कोने में आसन्न चुनाव नई दिल्ली में निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। मैं महसूस करता हूं कि यह न तो सरकार और न ही राज्य व्यवस्था के लिए अच्छा है।


 


कुछ समय पूर्व मुझे प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह और लोकसभा में तत्कालीन नेता सदन और वर्तमान राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी से इस विषय पर चर्चा करने का अवसर मिला। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि दोनों, मेरे इस सुझाव को विचारणीय मानते हैं कि - न तो लोकसभा और न ही विधानसभाओं को निर्धारित समायावधि से पूर्व भंग नहीं करना चाहिए। इन दोनों संस्थाओं का कार्यकाल निश्चित होना चाहिए।


 


जैसे कि अमेरिका में चुनावों की तिथि कार्यपालिका द्वारा मनमाने ढंग से तय नहीं की जा सकती। अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्येक चार वर्ष पर सदैव नवम्बर में होता है। कानून में व्यवस्था है कि चुनाव ”नवम्बर के पहले सोमवार के बाद मंगलवार को होगा”।


 


बराक ओबामा नवम्बर, 2008 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए। इस वर्ष नये चुनाव होने हैं। नवम्बर, 2012 का पहला सोमवार 5 तारीख को पड़ता है। अत: इस वर्ष चुनाव की तिथि 6 नवम्बर होगी।


                                                 


इन दिनों चुनाव सुधारों की जरूरत के बारे में काफी कहा और लिखा जा रहा है कि चुनावों में धन बल , जो सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की जड़ है, पर अंकुश लगाया जा सके।


 


अच्छा हो कि नए राष्ट्रपति सम्पूर्ण चुनाव सुधारों के सम्बन्ध में पहल करें , लेकिन विशेष रूप से इस विशेष मुद्दे पर, जिस पर एक बार चर्चा हो चुकी है: वर्तमान सरकार, जिसमें वह भी एक प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं एक काम तो कम से कम अवश्य करें: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की निर्धारित समयावधि, और केन्द्र तथा राज्यों में प्रत्येक पांच वर्ष पर एक साथ चुनाव।


 


प्रणव दा द्वारा हाल ही में संभाली गई निष्पक्ष जिम्मेदारी के तहत चुनाव सुधारों की पहल किया जाना बहुत उपयुक्त होगा।


 


टेलपीस (पश्च्यलेख)


 


जब सन् 2010 में, उपरोक्त मुद्दे पर प्रधानमंत्री और लोकसभा में सदन के तत्कालीन नेता से चर्चा के दौरान मैंने संकेत दिया था कि ब्रिटिश सरकार भी इस दिशा में सोच रही है।


david-cameron  nick-clegg 


आज मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि सन् 2011 में, ब्रिटिश संसद ने एक कानून पारित किया है - ”फिक्सड-टर्म पार्लियामेंट्स एक्ट, 2011”। इस कानून के मुताबिक आगामी चुनाव 7 मई, 2015 को होंगे (सिवाय सरकार गिरने की स्थिति में या सांसदों का दो तिहाई बहुमत शीघ्र चुनावों के लिए मतदान करे)।


                                                   संदर्भ : लेजिस्लेटिव डिटेल्स,


 विकीपीडिया


 


लालकृष्ण आडवाणी


नई दिल्ली


12 अगस्त, 2012


 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on August 12, 2012 19:21
No comments have been added yet.


L.K. Advani's Blog

L.K. Advani
L.K. Advani isn't a Goodreads Author (yet), but they do have a blog, so here are some recent posts imported from their feed.
Follow L.K. Advani's blog with rss.