
रोज एक शाम आती थी
कुछ अनोखा लाती थी
अगर बारीश भी आती थी
एक समा बनाके जाती थी
नयी कहानीयां सिखाती थी
काफी बातें छुपाती भी थी
यादों की यादी बढाती थी
धुप कभी कभी जलाती थी
इतना भी नहीं सताती थी
चिडिया माहौल बनाती थी
अपने घरोंको लौट पाती थी
ना वो माहौल बन पाता है
अब अंधेरा हो जाता है
चिडिया लौट पाती नहीं
और वो शाम आती नहीं
Published on June 19, 2023 19:07