आसमां की ओर रुख करे
मांझे को उसके खींचते रहे
फिर भी उड़ने को तैयार नहीं जो
बड़ी ही अड़ियल, बेअदब पतंग वो
क्या देखती नहीं, वो दूसरी पतंग को
लहराती, सरसराती जो सूरज को छूले
अल्पमति, अज्ञानी, सीखती नहीं कुछ
हाथों में मेरे अलसाई पड़ी है
मैं कोशिश करूं तो, ढील मांझे को दूं तो
उंगलियों को काटे, धूल ज़मीं की चाटे
लड़ाकू और निर्लज, किसी काम की नहीं वो
निर्लज भी ऐसी, हाथों को मेरे अनाड़ी कहे जो
बड़ी ही अड़ियल, बेअदब पतंग वो
Published on February 02, 2022 04:13