इश्क़ हो जाए अगर, तो इश्क पर लिखा जाता नहीं
अल्फाजों की ढेरियां तो सजा देते हैं हम मगर
कोई अल्फाज़ उस एहसास को बयां कर पाता नहीं
इश्क़ हो जाए अगर, तो इश्क पर लिखा जाता नहीं
तेरा इश्क़, मेरा इश्क़, हर इश्क़ एक दूसरे से है अलग
गर मैं कुछ कह भी दूँ, तो कोई समझ पाता नहीं
कभी लफ्जों में जड़ा इश्क़ उसे भेंट किया
और कितनी ही दफा प्यार से सहलाया उसको
उसने भी इन रिवायतों को निभाया कई बार
हर बार लेकिन उन बातों का एहसास फरक था,
हर बार लेकिन उसकी आंखों का भाव फरक था
कैसे कहो फिर मुहब्बत के गीत बुनू मैं
पल पल बदलती, स्वांग नए धरती जो
मिट्टियों में कभी अठखेलियां करे
कभी रजाई में अलसायी पड़ी हो
कभी पकड़ ले, दूर जाने न दे
और कभी मेरी तरफ मुड़ कर देखती भी नहीं वो
ये मनमौजी मुहब्बत, शब्दों से परे है
स्वछंद है, निर्मल है और मुझे पसंद है
Published on February 02, 2022 04:17