बिन मांगी जलन हैएक तूफान, एक सैलाब भी हैरोज तुजसे पूछना चाहती हु, पर भूल जाती हूँतू है तो सही पर इतना दूर दूर कयों हैं
Read More: सूरज से गुफतगू #27
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