सुन आज कोई बात नहीं करते हैं
तेरे फिर से डूब जाने की बात नहीं करते हैं,
तेरे, हर शाम के बाद वह बदलते हुए चाँद के पास जाने की बात नहीं करते हैं
तुजे यु किसी से बाटने की बात नहीं करते हैं,
हमारे कभी न मिल पाने की बात नहीं करते हैं
सुन ना, आज कोई बात नहीं करते हैं,
तू तो मनचला डूब कर फिर उभर आता हैं
और में बावरी न जाने किन अंद्देरो के नशे में डूबती चली जाती हू।
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सूरज से गुफ्तगू #16
Published on October 10, 2020 04:46