बंदिनी

'मैं किसी और से प्यार करती हूँ'।

दुनिया का सबसे मुश्किल कन्फ़ेशन हमें अपने प्रेमी से करना पड़ता है। उस प्रेमी से जो अभी तक 'पूर्व प्रेमी' नहीं हुआ है। हमारे वर्तमान में हमें उससे प्यार है, थोड़ा सा। जिन्होंने भी कभी ज़िंदगी में कई कई बार प्रेम किया है, वे जानते हैं कि एक बिंदु आता है जब हम ठीक दो इंसानों के प्रेम में होते हैं। एक हमारा अतीत होने वाला होता है और एक हमारा भविष्य... लेकिन उस वर्तमान में दोनों प्रेमी होते हैं। कभी कभी हम नए प्रेम को एक भूल का नाम देते हैं और अपने पुराने प्रेम के पास लौट जाते हैं। कभी कभी हम नए प्रेम को ज़्यादा गहराई से महसूसते हैं और पुराने प्रेम को विदा कहते हैं। 
हम घबराहट में जीते हैं कि जैसे मर जाना इससे ज़्यादा आसान होगा। अपना दिल हमें ख़ुद समझ नहीं आता कि आख़िर ऐसा हुआ क्यूँ। हमसे ग़लती कहाँ हुयी। क्या हमने किसी और एक साथ वक़्त ज़्यादा बिताया या उसके बारे में सोचने में वक़्त ज़्यादा बिताया। हम समझते हैं कि प्यार बहुत हद तक इन्वॉलंटरी है। अपने आप हो जाने वाला। हादसा कोई। एक लम्हे में हो जाने वाला इश्क़ भी होता है जिसे हम कुछ भी करके रोक नहीं सकते। कि जैसे गॉडफ़ादर फ़िल्म में होता है। बिजली गिरना कहते हैं जिसे सिसली में। Hit by a thunderbolt. इक नज़र देख कर हम जानते हैं कि कुछ भी पहले जैसा नहीं होगा और जाने कितना कितना वक़्त लगेगा उसे भूलने में। 
भीड़ में उसे दूर से आते हुए देखा था। पास आने पर उसकी आँखें देखीं। उसकी हँसी। साथ चलते हुए पाया कि हम आराम से टहल रहे थे जैसे कि वक़्त को कोई हड़बड़ी नहीं हो कहीं जाने की। कहाँ लिख पाते हैं उस लम्हे को। हूक जैसा लम्हा। सीने में कई कई परमाणु विस्फोट करता हुआ। हम कितने शांत रहते हैं ऊपर से। ज़मीन के कई कई फ़ीट नीचे परमाणु परीक्षण होते हैं फिर भी सतह पर ग़ुबार दिखता ही है। मेरे चेहरे पर मुहब्बत दिखती है। मेरे लिखे में उसकी आँखें दूर से चमकती हैं। मैं ही नहीं, दुनिया जानती है जब मैं इश्क़ में होती हूँ। ग़नीमत यही है कि इश्क़ में लगभग हमेशा ही होती हूँ तो दिक्कत थोड़ी कम आती है। सवाल जवाब कम होते हैं। 
मैं इश्क़ में हूँ। ऐसे इश्क़ के जो चुप्पा हो गया है। चाहता है बाक़ी सभी प्रेमियों से कह दूँ, देखो… अब मुझे सिर्फ़ एक उसी से प्यार है। भले ही इसके बाद वे सब मुझसे बात करना बंद कर दें। कितनी भी तन्हाई आ जाए ज़िंदगी में, झूठ तो नहीं कह सकती न। कि दिल वाक़ई एक उसके सिवा कोई नाम नहीं लेता। कोई धुन नहीं बहती मेरे अंधेरे में। कोई और शहर पसंद नहीं आता। फिर उसकी चुप्पी भी तो ऐसी ही है, कितनी कहानियाँ रचती हुयी। वो जाने क्या सोचता है मेरे बारे में। हम क्या हैं। जस्ट गुड फ़्रेंड्ज़? या उसे भी थोड़ा डर लगता है मेरे क़रीब आने से। अपनी ज़िंदगी से थोड़े से रंग वो मेरे शहर भी भेजना चाहता है या नहीं। सोचता भी है, कभी?
मर्द अजीब होते हैं। एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर में भी लॉयल्टी की दरकार रखते हैं। औरतें लेकिन कोई हक़ नहीं माँगतीं। ऐसा क्यूँ है? मेरा मन क्यूँ करने लगा है कि दूसरी औरतों के लिए कोई परचम लहराऊँ… समझाऊँ उन मर्दों को कि वे तुम पर यूँ ही मर मिटी हैं। कल किसी और पर मर मिटेंगी। तुम उनके होने में हमेशा की कामना क्यूँ करते हो। प्यार में हमेशा जैसी कोई चीज़ होती तो तुम अपनी बीवी से और वो अपने पति से प्यार नहीं करती। शादी का मतलब तो यही होता है। फिर पूरी दुनिया में इतने सारे अफ़ेयर होते ही क्यूँ हैं? क्यूँ वही चीज़ चाहिए होती है जिसपर किसी और का नाम लिखा हो? कि सारे मनुष्य इस बंधन में स्वाभाविक रूप से नहीं बन्धते। कुछ ग़लती से भी आ जाते हैं कूचा ए क़ातिल, अर्थात शादी के मंडप में। ये औरतें जब कहें कि वे किसी और से प्यार करती हैं अब… और सवाल पूछें, can we still be friends? तो या तो दिल बड़ा कर के हाँ कह दो… या दो क़दम पीछे हट के कहो, कि शायद भविष्य में किसी दिन… लेकिन फ़िलहाल तुम्हें किसी और के साथ सोच नहीं सकता। इतना ही होता है ना। कोई उस औरत का भी तो सोचो… कितने मुश्किल से कह पायी होगी तुमसे। कि ज़रा सा प्यार तो होगा ही … अगर नहीं होता तो तुम्हारी बेरुख़ी से उसे तकलीफ़ थोड़े होती। उसे तुम्हारा दुखना परेशान नहीं करता। अपनी बात कहती और भूल जाती। लेकिन इश्क़ कमबख़्त होता ही ऐसा दुष्ट है। सबको बराबर से नहीं होता… एक समय नहीं होता। तभी तो… ‘Love is all a matter of timing’, 2046 में देखते हुए समझ आता है। इस बहती दुनिया में हम सब अलग अलग वक़्त में प्रेम कर रहे होते हैं। जी रहे होते हैं अपने एकल यूनिवर्स में… एकदम अकेले। लेकिन ज़रा भी अधूरे नहीं। हमें यक़ीन है, हमारे वक़्त में वो ज़रूर आएगा, ठीक सामने… सिगरेट का गहरा कश खींचता हुआ। बिना अलविदा कहे, बिना मुड़ के देखे लौट जाने को। 
प्रेम। क़िस्से कहानियों का प्रेम। किरदारों का प्रेम। जिन्हें सामने बिठा कर कह नहीं सकते कि इतनी मुहब्बत है तुमसे कि नॉवल पूरा नहीं कर रही कि उसमें तुम्हारी मृत्यु लिखनी है। प्रेम से कहाँ कह पाती हूँ कि दिल का टूटना भी क़ुबूल है, इसमें मर जाना भी। मेरे सपनों में दिखता है वो। एक फ़िक्स्ड दूरी पर। कवियों, लेखकों के डॉक्टर भी अलग क़िस्म के होने चाहिए। कैसे समझाऊँ कि वजूद के बीच दुखता है उसका न होना। उससे न कह पाना कि प्यार है तुमसे। मेसेज के आख़िर में hugs वाली स्माइली नहीं भेज पाना। कि शाम दुखती है सीने में… सिर्फ़ इसलिए कि एक और दिन बीत गया उससे दूर… बिना उससे कोई भी बात किए हुए… बिना उसे देखे हुए, छुए हुए। कि हम रहना चाहते हैं उसके शहर में। सिर्फ़ इस सुख में कि हम एक आसमान के नीचे ऐसी सड़कों पर हैं जो उस तक दौड़ के पहुँच जाएँगी। वो बिसर जाएगा, एक दिन। लेकिन उसके पहले कितनी कितनी बार मरूँगी मैं। अब तो याद भी नहीं आता कितने दिन हुए उससे मिले हुए। कितने साल। कि मैं इस घबराहट में कैसे जियूँ कि उससे दुबारा मिले बिना मर गयी तो! 
कर दो माफ़ हमें। नहीं कर सकते अब किसी से भी प्यार। हमारे दिल पर एक उस डकैत ने क़ब्ज़ा जमाया हुआ है। पहरा देता है दिन रात दुनाली टाँगे हुए। किसी को दाख़िला नहीं मिलेगा अब। दिक्कत ये भी है कि तुम्हें लड़ने भी नहीं देंगे उससे। मान लो जो गोला बारूद, रॉकट लौंचर लिए आ भी गए तुम तो जाने ही नहीं देंगे उस तक हम। मेरे जीते जी तुम उसकी मुस्कान की चमक भी नहीं छू पाओगे। इसलिए, विनती है… हमें भूल जाओ… हम किसी और से प्यार करते हैं।

मुहब्बत इसी अजीब शय का नाम है जहाँ ख़ुद ही डालते हैं बेड़ियाँ और करते हैं आत्मसमर्पण... फिर अपना ही नाम देते हैं - बंदिनी।
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Published on February 06, 2019 06:15
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