इस बार भी चुनावों में गहमा गहमी है। ठेंगा राम और भुललकड़ राम, दोनों ने अपनी पुरी ताकत झोंक दी है। हर दिन छोटी बड़ी सभाओं का आयोजन। बड़े बड़े वादे। नागरिकों ने दरखवासत की कि शहर के एक कषेतर में सकूल नहीं है तो आनन फानन में दोनों नेताओं ने सकूल का वादा कर डाला। चुनाव खतम हुए। इससे फरक नहीं पड़ता कि कौन जीता। मगर कहानी को आगे बढ़ाने के लिए हम भुललकड़ राम को विजेता घोषित कर देते हैं। वैसे
Published on December 29, 2018 09:40