Kaatil Kaun

‘कातिल कौन’ के परति पाठकों की राय :

- हनुमान परसाद मुंदड़ा को कातिल कौन ‘परफेकट, आइडियल, शानदार, ऐन मेरी पसनद का’ लगा । बकौल उन के काफी समय बाद उन को कोई बढ़िया थरिलर (मरडर मिसटरी नहीं) पढने को मिला । साथ में परकाशित हुए लघु उपनयास ‘खुली खिड़की’ को उनहोंने लाजवाब बोनस करार दिया और गिला जाहिर किया मैंने उसे सुधीर कोहली का फुल लेंथ कारनामा कयों न बनाया ।

- मुंबई की डॉकटर सबा खान को भी ‘कातिल कौन’ से जयादा ‘खुली खिड़की ने मुतमईन किया और उनहोंने उपरोकत सरीखी ही बाकायदा शिकायत की कि इतने शानदार कथानक...

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Published on September 05, 2016 00:28
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message 1: by Shobhit (new)

Shobhit Shobhit मुझे पाठक सर की यही ख़ूबी बहुत पसंद है कि वो अपनी ग़लतियों को स्वीकार करने से कभी पीछे नहीं हटते.


message 2: by Gurpreet (new)

Gurpreet Singh पाठक साहब के नावल ख़रीदने पर पैसे तो उन के लेखकीय पढ कर ही पूरे हो जाते हैं फिर नावल तो बोनस के तौर पर ही हुआ चाहे आप को जैसा लगे।


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