मेरी प्रिय कहानियाँ Quotes

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मेरी प्रिय कहानियाँ मेरी प्रिय कहानियाँ by सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
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“एक आदमी के भीतर जो शैतान होता है, वह तब तक दूसरे आदमी के भीतर के शैतान का पक्ष लेता है, जब तक कि उसका स्वार्थ न बिगड़े।”
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय', मेरी प्रिय कहानियाँ
“लोगों के भीतर छिपा हुआ शैतान जब समझता है कि दूसरों के भीतर भी शैतान बसा है, तब अपनी उस कल्पित मूर्ति को सिर झुकाए बिना नहीं रहता, फिर बाहर से चाहे जो कहे !”
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय', मेरी प्रिय कहानियाँ
“हीली की आँखों में वह निर्व्यास सूनापन घना हो आया है जो कि पर्वत का चिरन्तन विजन सौन्दर्य है।”
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय', मेरी प्रिय कहानियाँ