शतरंज के खिलाडी और अन्य कहानियाँ Quotes

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शतरंज के खिलाडी और अन्य कहानियाँ शतरंज के खिलाडी और अन्य कहानियाँ by Munshi Premchand
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“मेरे दरजे में आओगे, तो दाँतों पसीना आ जाएगा, जब अलजबरा और ज्यॉमेट्री के लोहे के चने चबाने पड़ेंगे, और इंग्लिस्तान का इतिहास पढ़ना पड़ेगा। बादशाहों के नाम याद रखना आसान नहीं। आठ-आठ हेनरी ही गुज़रे हैं। कौन-सा कांड किस हेनरी के समय में हुआ, क्या यह याद कर लेना आसान समझते हो ? हेनरी सातवें की जगह हेनरी आठवाँ लिखा और सब नम्बर गायब ! सफाचट। सिफर भी न मिलेगा, सिफर भी ! हो किस खयाल में? दरजनों तो जेम्स हुए हैं, दरजनों विलियम, कोड़ियों चार्ल्स ! दिमाग़ चक्कर खाने लगता है। आँधी रोग हो जाता है। इन अभागों को नाम भी न जुड़ते थे। एक ही नाम के पीछे दोयम, सोयम, चहारुम, पंजुम लगाते चले गए। मुझसे पूछते, तो दस लाख नाम बता देता और ज्यॉमेट्री तो बस खुदा की पनाह”
Munshi Premchand, शतरंज के खिलाडी और अन्य कहानियाँ
“कर्तव्य उसके हृदय में अरमान की भाँति उछल रहा था।”
Munshi Premchand, शतरंज के खिलाडी और अन्य कहानियाँ
“कौन निःस्वार्थ किसी के साथ सलूक करता है? भिक्षा तक तो स्वार्थ के लिए ही देते हैं।”
Munshi Premchand, शतरंज के खिलाडी और अन्य कहानियाँ
“अनर्थ तो यह है कि कहा जाता है, संक्षेप में लिखो। समय की पाबन्दी पर संक्षेप में एक निबन्ध लिखो, जो चार पन्नों से कम न हो। ठीक ! संक्षेप में तो चार पन्ने हुए, नहीं शायद सौ-दो सौ पन्ने लिखवाते। तेज़ भी दौड़िए और धीरे-धीरे भी। उलटी बात है या नहीं ?”
Munshi Premchand, शतरंज के खिलाडी और अन्य कहानियाँ
“कह दिया–‘समय की पाबन्दी’ पर एक निबन्ध लिखो, जो चार पन्नों से कम न हो। अब आप कॉपी सामने खोले, कलम हाथ में लिए उसके नाम को रोइए। कौन नहीं जानता कि समय की पाबन्दी बहुत अच्छी बात है, इससे आदमी के जीवन में संयम आ जाता है, दूसरों का उस पर स्नेह होने लगता है और उसके कारोबार में उन्नति होती है; लेकिन इस ज़रा-सी बात पर चार पन्ने कैसे लिखें। जो बात एक वाक्य में कही जा सके, उसे चार पन्नों में लिखने की ज़रूरत ?”
Munshi Premchand, शतरंज के खिलाडी और अन्य कहानियाँ