Kashmirnama Quotes
Kashmirnama
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Ashok Kumar Pandey100 ratings, 3.97 average rating, 15 reviews
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“इतिहास का सबसे बड़ा सबक यही है कि हम उससे कोई सबक नहीं सीखते।”
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“उन्होंने ईद मिलाद के अवसर पर कहा कि इस्लाम सूरज है और बाक़ी धर्म सितारे। जियालाल किलाम और कश्यप बन्धु ने कार्यकारिणी में यह मुद्दा उठाया और शेख़ अब्दुल्ला के इससे पीछे हटने से इंकार करने तथा यह कहने पर कि वह पहले और आख़िर में मुसलमान हैं, नेशनल कॉन्फ्रेंस छोड़ दी,40†”
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“शेख़ अब्दुल्ला को पहले मुज़फ्फ़राबाद स्थानांतरित कर दिया गया। इसे स्वीकार करने की जगह ख़ानक़ाह-ए-मौला पर शेख़ ने नौकरी से इस्तीफ़े की घोषणा की। वहाँ मौज़ूद ज़मींदार (लाहौर) अख़बार के सम्पादक मौलाना ज़फ़र अली ख़ान ने उसी सभा में उन्हें शेर-ए-कश्मीर कहकर संबोधित किया54 जो भविष्य में उनका परिचय बन गया।”
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“दस मील दूर गवर्नमेंट हाई स्कूल, दिलावरबाग़ में हुआ। बीस मील रोज़ की पैदल यात्रा करते हुए उन्होंने मैट्रिकुलेशन पास किया और प्रताप सिंह कॉलेज में एफ़.एस.सी. में दाख़िला लिया।”
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“चूँकि श्रीनगर में इसकी कोई व्यवस्था नहीं थी तो उन्होंने प्रिंस ऑफ़ वेल्स कॉलेज, जम्मू में दाख़िला लेने की कोशिश की। लेकिन वहाँ भी उन्हें दाख़िला नहीं मिला और अंततः उन्हें लाहौर के इस्लामिया कॉलेज में एक सीट मिली। वहाँ भी वजीफ़े की उनकी कोशिश नाकाम रही। लाहौर में रहते हुए वह न केवल अल्लामा इक़बाल, सरोजिनी नायडू, सिकंदर हयात, लाला लाजपत राय, सर मोहम्मद शफ़ी, मियाँ अमीरुद्दीन सहित कई महत्त्वपूर्ण लोगों से मिले बल्कि उनकी राजनीतिक चेतना भी विकसित हुई।”
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“1929 में आल इंडिया मुस्लिम लीग की सालाना कॉन्फ्रेंस में इक़बाल ने भारत के उत्तरी और उत्तर पश्चिमी इलाक़ों सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब, उत्तर पश्चिम सीमावर्ती प्रदेश और कश्मीर को मिलाकर एक इस्लामिक राज्य बनाने का सार्वजनिक प्रस्ताव रखा था।”
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“लाहौर में विस्थापित कश्मीरियों और स्थानीय मुसलमानों ने ‘ऑल इंडिया कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ स्थापित की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर से आने वाले ग़रीब लड़कों को शिक्षा के लिए मदद प्रदान करना था”
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“मनुष्यों की स्थिति उतनी निराशाजनक नहीं है जितना कि कश्मीर में। यह मिस्र के शासन में इज़रायलियों की स्थिति की याद दिलाती है जहाँ वे अपने निर्दयी मालिकों द्वारा रोज़ काम पर हाँके जाते थे।27”
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“लम्बे इतिहास में साथ रहते और आक्रान्ताओं का अत्याचार बर्दाश्त करते दोनों कौमों ने एक विशिष्ट तरीक़े की सहजीविता विकसित की थी जिसे कश्मीरी राष्ट्रवाद के उभार के दौर में अक्सर ‘कश्मीरियत’ कहा गया,”
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“बाहर से आये मुसलमानों को कश्मीर में ‘सादात’ कहा जाता है”
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“धर्म परिवर्तन के बाद बचे सभी हिन्दुओं को कालांतर में कश्मीरी पंडित कहा जाने लगा।”
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“सबसे ऊपर गौर थे, जिनका पेशा पूजा-पाठ का था, उसके बाद कारकून थे जो अक्सर संपन्न, पढ़े-लिखे और तुलनात्मक रूप से समृद्ध शासकीय सेवक थे। तीसरी उपजाति बूहर थी जो आमतौर पर पंसारी तथा हलवाई जैसे काम करते थे।”
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“ज़ाहिर है कि सामंती समाज में श्रेष्ठता श्रम के निषेध और स्त्रियों की ग़ुलामी सुनिश्चित करके ही हासिल की जा सकती थी। आज के साम्प्रदायिक माहौल में उपहास का प्रतीक बन चुका ‘मियाँ’ उस दौर में धार्मिक पहचान की जगह सम्मानजनक उपाधि था”
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“डोगरा वंश के लोग अपनी उत्पति राम के पुत्र कुश से मानते हैं।8 अपने ख़ानदान को सूर्य या चन्द्र वंश से जोड़ने और मिथकीय परम्परा”
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“दूसरी मान्यता के अनुसार यह शब्द राजस्थानी डूगर का अपभ्रंश है जिसका अर्थ पहाड़ होता है। इसके अनुसार दक्षिण से आये राजपूतों ने, जिन्होंने जम्मू राज्य की स्थापना की, यह संबोधन चुना।6 डोगरा वंश के लोग इस मान्यता को ही सही मानते हैं”
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“डोगरा शब्द की उत्पति को लेकर सूफ़ी दो मान्यताओं का ज़िक्र करते हैं, पहली मान्यता के अनुसार यह एक भौगोलिक पद है जो संस्कृत शब्द द्विगर्त से जन्मा है। द्विगर्त यानी दो झीलें।”
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“शासकों के धर्म के आधार पर देशभक्ति जैसे मिथक खड़े करने वाले भूल जाते हैं कि अपनी सत्ता और संपत्ति का लालच और स्वार्थ इन राजाओं के लिए किसी धार्मिक या निजी निष्ठा से बड़ा था।”
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“सिखों ने चुपचाप अपनी बची हुई ताक़त समेट कर अमृतसर के बाहर शहर के संस्थापक गुरु राम दास के नाम पर एक मिट्टी के क़िले ‘रामरौनी’ का निर्माण कर संगठित होना शुरू किया।”
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“नेतृत्व के अभाव में सामूहिक निर्णयों के लिए उन्होंने अमृतसर में बैसाख की पहली तारीख़ और दीपावली को मिलना शुरू किया। इन बैठकों को ‘सरबत खालसा’ और इनमें लिए गए निर्णयों को ‘गुरमत’ कहा जाता था और इस बैठक में जत्थेदार नियुक्त किये जाते थे।”
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“आतंक से अनेकों सिखों ने दाढ़ी मूँछ कटवा दी जिन्हें सहजाधारी कहा गया”
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“परिमू ने सहज राम सप्रू के बारे में एक रोचक किस्से का उल्लेख किया है। पंडित सहज राम एक घोटाले में पकड़े गए तो सूबेदार नाज़िम खान के यहाँ हाज़िरी लगी। तर्क-वितर्क की जगह साफ़-साफ़ ग़लती मान ली। सूबेदार ईमानदारी से प्रभावित हुआ पर सज़ा तो देनी ही थी। तो ऑप्शन दिया, या तो मुसलमान बन जाओ या फिर सूली पर चढ़ो। सहज राम ने इस्लाम अपनाने का ऑप्शन चुना पर कहा, मुसलमान बन के घाटी में नहीं रह पाऊँगा। उन्हें सियालकोट में एक बड़ा ओहदा दे दिया गया। बाद में उसी खानदान में सर इक़बाल पैदा हुए। शेख़ अब्दुल्ला ने अपनी जीवनी में ज़िक्र किया है कि अल्लामा इक़बाल को अपनी ‘सप्रू’ परम्परा पर बहुत अभिमान था। (फ़्लेम्स ऑफ़ चिनार पेज 52,)”
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“सर बुरीदां पेश इन संगीन दिलां गुलचिदान अस1 (पत्थर दिल अफ़ग़ानों के लिए सिर काट देना वैसे ही है जैसे बागीचे से फूल तोड़ लेना।)”
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“फ़र्रुखसियार की नज़र अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान संस्कृत और फ़ारसी के विद्वान तथा प्रतिष्ठित कश्मीरी पंडित राज कौल पर पड़ी और उसने उन्हें दिल्ली आने का न्यौता दिया। 1716 में पंडित राज कौल सपरिवार दिल्ली आ गए और बाद में इलाहाबाद चले गए। बाद में इसी वंश में मोतीलाल और जवाहरलाल नेहरू हुए।56”
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“अकबर और जहाँगीर के समय स्थानीय ऋषि परम्परा काफ़ी समृद्ध थी और लगभग दो हज़ार ऋषि कश्मीर में थे।54 लेकिन मुग़लों के आने के साथ उलेमा के बढ़ते प्रभाव और चिश्तिया, नक़्शबंदी, क़ादरी तथा सुहरावर्दी सिलसिले के असर के बढ़ते जाने के कारण कश्मीर की स्थानीय ऋषि परम्परा और नूरबख्शिया सिलसिला धीरे-धीरे बिखर गये।”
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“कश्मीर की आब-ओ-हवा से मुहब्बत और कश्मीरियों से नफ़रत की यह रवायत जैसे आज भी जारी है।”
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“कश्मीर में बनने वाली पश्मीना शॉल कैप्रा हिर्कस नामक भेड़ के बालों से बनती है जो लद्दाख में पाई जाती है। एक पुराने क़रार के कारण लद्दाखी यह धागा सिर्फ़ कश्मीरियों को ही बेचते थे।48 मुग़ल बादशाहों ने इस उद्योग का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवसायीकरण किया।”
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“कवि मुल्ला ताहिर गनी और उस समय के बेहद प्रतिष्ठित ब्राह्मण योगी पीर पंडित को शाही दरबार में भेजने के लिए कहा। स्थानीय हक़ीक़त से अनजान औरंगज़ेब की इस ज़िद का परिणाम अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण रहा। जहाँ ग़नी कश्मीरी के नाम से प्रसिद्ध मुल्ला ताहिर ग़नी इस प्रस्ताव को मानने का दबाव पड़ने पर पागल हो गए, उन्होंने अपने सारे कपड़े फाड़ डाले और अपने प्राण त्याग दिए। वहीं पीर पंडित बादशाह के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी आध्यात्मिक ताक़त का उपयोग करके औरंगज़ेब को इतना आतंकित किया कि उसने उन्हें बुलाने की ज़िद छोड़ दी।”
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“मलिक हैदर जहाँगीर के बेहद प्रिय थे, शेर अफ़गन मामले में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी और उसकी बेवा मेहरुन्निसा के नूरजहाँ बनकर बादशाह के हरम में आने से पहले सुरक्षा भी दी थी।”
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“वह लिखता है— यह एक पन्ना है जिसे कुदरत ने सर्जना के क़लम से लिखा है।”
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“समरकंद और बुखारा के जिस ठण्डे और बागीचों से भरे हरे-भरे माहौल से मुग़ल आये थे उस जैसा हिन्दुस्तान में कश्मीर के अलावा कोई हिस्सा नहीं था।”
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