जयद्रथ वध Quotes

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जयद्रथ वध जयद्रथ वध by Maithilisharan Gupt
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जयद्रथ वध Quotes Showing 1-3 of 3
“जिस पर हृदय का प्रेम होता सत्य और समग्र है,
उसके लिए चिन्तित तथा रहता सदा वह व्यग्र है।”
Maithili Sharan Gupt, जयद्रथ वध
“हे सारथे ! हैं द्रोण क्या, देवेन्द्र भी आकर अड़े,
है खेल क्षत्रिय बालकों का व्यूह-भेदन कर लड़े।
श्रीराम के हयमेध से अपमान अपना मान के,
मख अश्व जब लव और कुश ने जय किया रण ठान के।।”
Maithili Sharan Gupt, जयद्रथ वध
“अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है;
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।”
Maithili Sharan Gupt, जयद्रथ वध