संघर्ष Quotes

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संघर्ष (कृष्ण की आत्मकथा - Vol. VII) संघर्ष by Manu Sharma
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“किसी माँ को धर्मात्मा पुत्र हो चाहे न हो, पराक्रमी हो चाहे न हो, धनुर्धर और गुणी हो चाहे न हो; पर उसके पुत्र को भाग्यवान् अवश्य होना चाहिए।’’ मैंने अनुभव किया कि कुंती बुआ के जीवन का यही कठोर सत्य है। बड़े-से-बड़े पुरुषार्थ को प्रारब्ध चुटकी”
Manu Sharma, संघर्ष
“फल पर आसक्ति से हमारे कर्म कमजोर भी हो सकते हैं और साध्य के लिए साधन की पवित्रता भी खो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि हमारे कर्म भ्रष्ट भी हो जाएँ। दूसरे, जब हम फल पर अपना अधिकार नहीं समझेंगे तो अपने मनोनुकूल फल न प्राप्त होने से हम दुःखी नहीं होंगे। एक बात और है। फल तक पहुँचना ही कर्म की पूर्णता है। इस पूर्णता पर एक प्रकार का अहंकार भी पैदा होता है। हमने यह किया है, हमने वह किया है। फल को दूसरे के हाथ में समझने से हममें अहंकार का भी जन्म नहीं होता।”
Manu Sharma, संघर्ष
“क्रोध अहंकार का ही शिशु है और अहंकार अज्ञान से पैदा होता है। अहंकार से पैदा होने के बाद क्रोध अपने पितामह अज्ञान की छाया में ही रहता है। जहाँ अज्ञान हटा कि क्रोध भी लुप्त और अहंकार”
Manu Sharma, संघर्ष
“व्यक्तित्व को ऐसा बनाइए कि उसे देखकर विपत्ति भी चकित रह जाए। फिर क्रोध से क्रोध को नहीं जीता जा सकता और न अहंकार को अहंकार से।”
Manu Sharma, संघर्ष
“त्यागियों में भी एक अहंकार होता है—त्यागने का अहंकार। मैंने इस वस्तु का त्याग किया। मैंने उस वस्तु का त्याग किया। मैंने राजपाट छोड़ा। वैभव-विलास”
Manu Sharma, संघर्ष
“दरिद्र तो वह होता है, जो माँगता है; जो माँगने को ही अपना धन समझता है; पर तुम्हारा धन तो त्याग है, विद्याभ्यास है, विद्यादान है। और दानी कभी दरिद्र नहीं हो सकता; क्योंकि किसीसे वह कुछ चाहता नहीं है।”
Manu Sharma, संघर्ष
“भक्ति में एकपक्षीय समर्पण है और विवाह में द्विपक्षीय। भक्ति में भगवान् की स्वीकृति है और विवाह में समाज की।”
Manu Sharma, संघर्ष
“कोई किसीको जगाता नहीं है। जब सूर्य निकलता है तब सब जाग जाते”
Manu Sharma, संघर्ष