Hind Swaraj or Indian Home Rule Quotes
Hind Swaraj or Indian Home Rule
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Hind Swaraj or Indian Home Rule Quotes
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“A man, whilst he is dreaming, believes in his dream; he is undeceived only when he is awakened from his slumber.”
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
“In reality, there are as many religions as there are individuals.”
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
“पहले लोगों को मार–पीटकर गुलाम बनाया जाता था; आज लोगों को पैसे का और भोग7 का लालच देकर गुलाम बनाया जाता है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“We measure the universe by our own miserable foot-rule. When we are slaves, we think that the whole universe is enslaved. Because we are in an abject condition, we think that the whole of India is in that condition. As a matter of fact, it is not so, yet it is as well to impute our slavery to the whole of India. But if we bear in mind the above fact, we can see that if we become free, India is free. And in this thought you have a definition of Swaraj. It is Swaraj when we learn to rule ourselves.”
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
“வெவ்வேறு மதங்களைச் சேர்ந்த மக்கள் வாழ்கிறார்கள் என்பதனால் இந்தியா ஒரே தேசமில்லாமல் ஆகிவிட முடியாது. அயலவர்களின் வருகை ஒருநாட்டை அழித்துத்தான் ஆகவேண்டும் என்பதில்லை; அவர்கள் அதில் கலந்துவிடுகிறார்கள்.”
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
“இந்தியாவின் மீட்சி, கடந்த ஐம்பது ஆண்டுகளில் அது கற்றுக்கொண்டிருப்பதை மறப்பதில்தான் அடங்கியிருக்கிறது.”
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
― Hind Swaraj or Indian Home Rule
“The Kingdom of God is Within You —Tolstoy 2. What is Art? —Tolstoy 3. The Slavery of Our Times —Tolstoy 4. The First Step —Tolstoy 5. How Shall We Escape? —Tolstoy 6. Letter to a Hindoo —Tolstoy 7. The White Slaves of England —Sherard 8. Civilization, Its Cause and Cure —Carpenter 9. The Fallacy of Speed — Taylor 10. A New Crusade —Blount 11. One the Duty of Civil Disobedience —Thoreau 12. Life Without Principle —Thoreau 13. Unto This Last —Ruskin 14. A Joy for Ever —Ruskin 15. Duties of Man —Mazzini 16. Defence and Death of Socrates —From Plato 17. Paradoxes of Civilization —Max Nordau 18. Poverty and Un–British Rule in India —Naoroji”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“अपना कर्तव्य12 मैं कर लूँ, इसी में काम की सारी सिद्धियाँ समाई हुई हैं।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“स्वराज तो सबको अपने लिए पाना चाहिए और सबको उसे अपना बनाना चाहिए। दूसरे लोग जो स्वराज दिला दें, वह स्वराज नहीं है, बल्कि परराज्य है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“पैसा आदमी को दीन3 बना देता है। ऐसी दूसरी चीज दुनिया में विषय–भोग4 है। ये दोनों विषय5 विषम6 हैं। उनका डंक साँप के डंक से ज्यादा जहरीला है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“गरीब हिंदुस्तान तो गुलामी से छूट सकेगा, लेकिन अनीति से पैसेवाला बना हुआ हिंदुस्तान गुलामी से कभी नहीं छूटेगा।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“अंग्रेजी शिक्षा से दंभ13, राग14, जुल्म वगैरह बढ़े हैं। अंग्रेजी शिक्षा पाए हुए लोगों ने प्रजा को ठगने में, उसे परेशान करने में कुछ भी उठा नहीं रखा है। अब अगर हम अंग्रेजी शिक्षा पाए हुए लोग उसके लिए कुछ करते हैं, तो उसका हम पर जो कर्ज चढ़ा हुआ है, उसका कुछ हिस्सा ही हम अदा करते हैं।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“हिंदुस्तान को गुलाम बनाने वाले तो हम अंग्रेजी जाननेवाले लोग ही हैं। राष्ट्र की हाय अंग्रेजों पर नहीं पड़ेगी, बल्कि हम पर पड़ेगी।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“कुदरत उसका अच्छा उपयोग करेगी और वह कुदरत का अच्छा उपयोग करेगा।’’ अगर यही सच्ची शिक्षा हो तो मैं कसम खाकर कहूँगा कि ऊपर जो शास्त्र मैंने गिनाएँ हैं, उनका उपयोग मेरे शरीर या मेरी इंद्रियों को वश में करने के लिए मुझे नहीं करना पड़ा।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“जहाँ अभय है वहाँ सत्य कुदरती तौर पर रहता ही है। मनुष्य जब सत्य को छोड़ता है तब किसी तरह के भय के कारण ही छोड़ता है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“पैसे का लोभ और सत्याग्रह का सेवन–पालन (दोनों साथ–साथ) कभी नहीं चल सकते।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“किसान किसी के तलवार–बल के वश में न तो कभी हुए हैं और न होंगे। वे तलवार चलाना नहीं जानते; न किसी की तलवार से वे डरते हैं। वे मौत को हमेशा अपना तकिया बनाकर सोनेवाली महान् प्रजा हैं। उन्होंने मौत का डर छोड़ दिया है, इसलिए सबका डर छोड़ दिया है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“हिंदुस्तान का अर्थ वे करोड़ों किसान हैं, जिनके सहारे राजा और हम सब जी रहे हैं।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“सत्याग्रह ऐसी तलवार है, जिसके दोनों ओर धार है। उसे चाहे जैसे काम में लिया जा सकता है। जो उसे चलाता है और जिस पर वह चलाई जाती है, वे दोनों सुखी होते हैं। वह खून नहीं निकालती, लेकिन उससे भी बड़ा परिणाम ला सकती है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“सत्याग्रह सबसे बड़ा—सर्वोपरि बल है। वह जब तोप–बल से ज्यादा काम करता है, तो फिर कमजोरों का हथियार कैसे माना जाएगा? सत्याग्रह के लिए जो हिम्मत और बहादुरी चाहिए, वह तोप का बल रखनेवाले के पास हो ही नहीं सकती।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“सत्याग्रह में मैं अपना ही बलिदान देता हूँ।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“जिन लोगों ने अपने अधिकार पाने के लिए खुद दु:ख सहन किया था, उनके दु:ख सहने के ढंग के लिए यह शब्द बरता गया है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“सैकड़ों राष्ट्र मेल–जोल से रहे हैं, इसको ‘हिस्टरी’ नोट नहीं करती; ‘हिस्टरी’ कर भी नहीं सकती। जब इस दया की, प्रेम की और सत्य की धारा रुकती है, टूटती है, तभी इतिहास में वह लिखा जाता है। एक कुटुंब के दो भाई लड़े। इसमें एक ने दूसरे के खिलाफ सत्याग्रह का बल काम में लिया। दोनों फिर से मिल–जुलकर रहने लगे। इसका नोट कौन लेता है?”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“क्लेश2 प्रेम की भावना में समा जाता है, डूब जाता है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“दुनिया लड़ाई कि हंगामों के बावजूद टिकी हुई है। इसलिए लड़ाई के बल के बजाय दूसरा ही बल उसका आधार है।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“हथियार–बल से दया–बल ज्यादा ताकतवर साबित होता है। हथियार में हानि12 है, दया में कभी नहीं।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“खून करके जो लोग राज करेंगे, वे प्रजा को सुखी नहीं बना सकेंगे।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“हमें एक ही विचार करना चाहिए। वह यह कि प्रजा स्वतंत्र5 कैसे हो?”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“ऑस्ट्रिया के जाने से इटली को क्या लाभ हुआ? नाम का ही लाभ हुआ। जिन सुधारों के लिए जंग मचा, वे सुधार हुए नहीं, प्रजा की हालत सुधरी नहीं। हिंदुस्तान की ऐसी दशा करने का तो आपका इरादा नहीं होगा।”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
“उन्होंने देखा कि राजाओं और उनकी तलवार के बनिस्बत नीति का बल ज्यादा बलवान है। इसलिए उन्होंने राजाओं को नीतिवान पुरुषों—ऋषियों और फकीरों—से कम दर्जे का माना। ऐसा जिस राष्ट्र का गठन है, वह राष्ट्र दूसरों को सिखाने लायक है; वह दूसरों से सीखने लायक नहीं”
― Hind Swaraj
― Hind Swaraj
