ভবঘুরে শাস্ত্র Quotes

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ভবঘুরে শাস্ত্র ভবঘুরে শাস্ত্র by Rahul Sankrityayan
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“एको चरे खग्गर विसाण-कप्पोन” (गैंडे के सींग की तरह अकेले विचरे), घुमक्कड़ के सामने तो यही मोटो होना चाहिए।”
Rahul Sankrityayan, घुमक्कड़शास्त्र: Ghumakkad Shastra
“भिक्षुओ! मैं ऐसा एक भी रूप नहीं देखता, जो पुरुष के मन को इस तरह हर लेता है जैसा कि स्त्री का रूप... स्त्रीं का शब्दी ...स्त्रीे की गंध... स्त्री का रस... स्त्रीा का स्पिर्श...।” इसके बाद उन्हों ने यह भी कहा - “भिक्षुओं! मैं ऐसा एक भी रूप नहीं देखता, जो स्त्री के मन को इस तरह हर लेता है, जैसा कि पुरुष का रूप... पुरुष का”
Rahul Sankrityayan, घुमक्कड़शास्त्र: Ghumakkad Shastra
“प्रकृति ने कभी मानव पर खुलकर दया नहीं दिखाई, मानव ने उसकी बाधाओं के रहते उस पर विजय प्राप्तस की।”
Rahul Sankrityayan, घुमक्कड़शास्त्र: Ghumakkad Shastra