मेरा परिवार Quotes
मेरा परिवार
by
Mahadevi Verma331 ratings, 4.28 average rating, 33 reviews
मेरा परिवार Quotes
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“यथार्थ कभी-कभी कल्पना की सीमा नाप लेता है”
― मेरा परिवार
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“निरुपाय मृत्यु की प्रतीक्षा का मर्म वही जानता है, जिसे किसी असाध्य और मरणासन्न रोगी के पास बैठना पड़ता हो।”
― मेरा परिवार
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“शब्दहीन, संज्ञाहीन प्रतीक्षा की स्तब्ध घड़ियाँ”
― मेरा परिवार
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“उसमें वन तथा स्वजाति का स्मृति-संसार जागने लगा था। प्राय: सूने मैदान में वह गर्दन ऊँची करके किसी की आहट की प्रतीक्षा में खड़ी रहती । वासन्ती हवा बहने पर यह मूक प्रतीक्षा मार्मिक हो उठती। शैशव के साथियों और उनकी उछल-कूद से अब उसका पहले जैसा मनोरंजन नहीं होता था; अत: उसकी प्रतीक्षा के क्षण अधिक होते जाते थे।”
― मेरा परिवार
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“तरल चकित आँखों”
― मेरा परिवार
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“सद्य:जात मृगशिशु तो भाग नहीं सकता था, अत: मृगी माँ ने अपनी संतान को अपने शरीर की ओट में सुरक्षित रखने के प्रयास में प्राण दे दिये।”
― मेरा परिवार
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“पशुजगत में हिरन-जैसा निरीह और सुन्दर दूसरा पशु नहीं है—उसकी आँखें तो मानो करुणा की चित्रलिपि । परन्तु इसका भी गतिमय, सजीव सौंदर्य मनुष्य का मनोरंजन करने में असमर्थ है। मानव को, जो जीवन का श्रेष्ठतम रूप है, जीवन के अन्य रूपों के प्रति इतनी वितृष्णा और विरक्ति और मृत्यु के प्रति इतना मोह और आकर्षण क्यों?”
― मेरा परिवार
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“वीणा, बंशी, मुरज, जलतरंग”
― मेरा परिवार
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“मनुष्य मृत्यु को असुन्दर ही नहीं, अपवित्र भी मानता है। उसके प्रियतम आत्मीय जन का शव भी उसके निकट अपवित्र, अस्पृश्य तथा भयजनक हो उठता है। जब मृत्यु इतनी अपवित्र और असुन्दर है, तब उसे बाँटते घूमना क्यों अपवित्र और असुन्दर कार्य नहीं”
― मेरा परिवार
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“समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित।”
― मेरा परिवार
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“टाँगकर उस सीमा-रेखा में पहुँचा आने पर बीमार और उसके परिचारकों को एक अनिर्वचनीय आत्मिक सुख प्राप्त होता”
― मेरा परिवार
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“देश में अस्पताल, साधारण जन को अन्तिम यात्रा में संतोष देने के लिए ही तो”
― मेरा परिवार
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“मैंने सबसे पहले मृत्यु के द्वार से लौटे कुक्कुट-शावक के परिचय-चिह्नों को शब्दायित किया ।”
― मेरा परिवार
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“ज्ञान का वरदान मेरी जिस व्यथा का कारण हुआ,”
― मेरा परिवार
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“मानुस गंध से सजातीयता का अनुभवकर”
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“विश्रान्तिका”
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“दुर्वह”
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“स्मृत्यावर्तन”
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“शब्दहीन आक्रोश”
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“प्रवाह की तरह सहज-विमुक्त और निश्छल”
― मेरा परिवार
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