नारद की भविष्यवाणी Quotes
नारद की भविष्यवाणी
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नारद की भविष्यवाणी Quotes
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“इतिहास इसका साक्षी है कि सत्ता की जघन्य क्रूरता में जन-क्रांति का बीज फूटता है।...”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“राजनीतिज्ञ के लिए सत्य और झूठ एक सिक्के के दो पहलू मात्र होते हैं। उपयोगिता के आधार पर ही वह उन्हें परखता है। सत्य में उसकी कोई आसक्ति नहीं, झूठ से उसकी कोई विरक्ति नहीं।...जैसा अवसर देखा और जिससे लाभ की संभावना बनी,”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“जिस सुवासिनी को वह मात्र बरसाती तलैया समझता था, वह सतत प्रवाहमयी एक पवित्र वारि धारा है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“विद्रोह हमेशा अपनी ही जनता द्वारा होता है। दूसरे के राज्य की जनता विद्रोह नहीं, आक्रमण करती है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“रेशम के कीड़े की तरह मनुष्य अपनी छवि के धागे का निर्माता भी होता है तथा स्वयं को उससे परिवेष्ठित भी करता है।...और फिर उससे मुक्त नहीं हो पाता। आज छंदक भी अपनी छवि से मुक्त नहीं हो पा रहा है। भले ही वह सत्य कह रहा हो, पर उसके कथन से राजनीति की गंध हम तक पहले पहुँचती है, और कुछ बाद में।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“मैंने वंशी बजाना आरंभ किया; पर आधे मन से। राधा के बिना मैं आधा था। मेरा मन आधा, तन आधा, वंशी की धुन आधी। सबकुछ आधा-आधा। राधा, राधा, राधा।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“हमारे ऐसे कर्तृत्व, जो हमारे व्यक्तित्व में समा नहीं पाते, चमत्कार की संज्ञा लेते हैं।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“षड्यंत्र और चुनौती का कोई संबंध नहीं, राधा। षड्यंत्र के मूल में विनाश की भावना होती है और चुनौती के मूल में पौरुष की परीक्षा की।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“शांति किसीसे मिलती नहीं, राजन्, वह तो स्वयं अपने भीतर रहती है। केवल उसको देखने की दृष्टि मिलती है।’’ आचार्यजी बड़ी गंभीरता से मुसकराए—‘‘यदि वह दृष्टि खुल जाए तो न कहीं अशांति है और न कहीं शांति!”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“व्यग्रता से संसार छोड़ने का तात्पर्य है संसार से भागना। क्या भागना और छोड़ना एक ही वस्तु है? क्या भागना और छोड़ देना एक ही स्थिति है? जलते हुए वस्त्र को शरीर से नोचकर फेंक देना और शीतल जल में स्नान हेतु वस्त्र को उतारकर रख देना क्या एक ही क्रिया है?...जलते हुए वस्त्र को नोचकर जितना फेंकोगे, आग तुम्हारे पीछे उतना ही दौड़ेगी। तुम संसार से भागने की जितनी चेष्टा करोगे, संसार उतनी ही तेजी से तुम्हें पकड़ता दिखाई देगा।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“किंतु मेरा कहना था कि कोई कार्य अच्छा या बुरा नहीं होता। अच्छा या बुरा मात्र उद्देश्य होता है। यदि अच्छे उद्देश्य से चोरी भी की जाए, तो भी वह पवित्र कार्य ही होता है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“स्वयं युद्ध के पास कभी नहीं गया; पर जब युद्ध मेरे पास आया, मैंने उसे गले लगाया। संघर्ष को जीने में मेरी रुचि थी, झेलने में नहीं। झेलने के मूल में वितृष्णा होती है, जीने में रस। इसीसे संघर्ष में मुझे एक प्रकार के आनंद की अनुभूति होती थी।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“दो पुष्पों की निकटता में द्वैत का आभास होता है, पर गंधोंमें वह अद्वैत हो जाता है। हम अलग-अलग भले ही दीखते थे, पर हमारी गंध एक थी।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“अपनी तन्मयता की अंतिम सीमा पर भोग ही योग हो जाता है। इसी चरम स्थिति पर दो जुड़कर एक हो जाते हैं। यह जुड़न ही योग है। इसीलिए मैं राधा के साथ भोगी भी था और योगी भी; रागी भी था, विरागी भी।...”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“तन की निकटता मन की दूरी के बीच कोई सेतु नहीं बनाती।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“जानना एक बात है और पारंगत होना दूसरी बात।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“तनाव की चरम सीमा एक ऐसे टूटन पर समाप्त होती है, जहाँ से व्यक्ति तनावमुक्त हो जाता है। भीतर से टूटी हुई महादेवी मुक्त थी। वह प्रद्योत को बहुत अच्छी लग रही थी। यमुना के तट पर आकर रथ रुक गया।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“मनुष्य अपनी पत्नी का स्वामी होता है और प्रेमिका का दास। प्रद्योत एक अच्छा पति भी था और स्नेहिल प्रेमी भी। उसकी यही दोहरी विशेषता उसके कष्टों का कारण थी। एक ओर उसकी पत्नी का समर्पण, दूसरी ओर सुवासिनी का आकर्षण।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“राजनीति कहती है कि एक बार अविश्वस्त ठहराए गए व्यक्ति का कभी विश्वास मत करो; जबकि नीति अविश्वस्त का भी विश्वास करके उसे विश्वस्त बना लेने पर जोर देती है। दोनों में कितना अंतर है। राजनीति व्यवहार से जुड़ी है, नीति आदर्श से। राजनीति सत्तोन्मुखी होती है और नीति मानवीय मूल्यों के निकट। राजनीति दीवार के ऊपर का पलस्तर है और नीति नींव का पत्थर।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“झूठ इतना नंगा होता है कि उसकी लज्जा ढकने के लिए हमें झूठ की एक फौज ही उसके चारों ओर खड़ी करनी पड़ती है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“निरंकुश सत्ता की लिप्सा क्रूरता की गोद में पलती है, निष्ठुरता का स्तनपान करती है और अन्याय के पालने में झूलती है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“अच्छे-बुरे सभी प्रकार के कर्मों के संबंध में एक ही बात है।’’ महादेवी बोलती गई—‘‘अंतर बस इतना है कि बुरे कर्मों का फल नागदंश के विष की तरह तुरंत चढ़ता है और अच्छे कर्मों का फल प्रतीक्षा के पात्र में बंद मैरेय की तरह सीझता रहता है। उसकी गुणवत्ता बढ़ती रहती है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“मनुष्य के पास मृत्यु की अनिश्चितता और स्वप्न न होता तो जीवन दूभर हो जाता। मृत्यु की ओर हम हर क्षण बढ़ते जा रहे हैं और हर क्षण मानते हैं कि मृत्यु अभी हमसे दूर है। यही विश्वास हमारी सभी योजनाओं की नींव है। यही विश्वास हमारे उन स्वप्नों का आधार है, जो स्वयं हमारे गंतव्य बन जाते हैं और हम उनकी ओर दौड़ने लगते हैं।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“राजनीति को मनुष्य से क्या लेना-देना है!’’ छंदक पुनः मुसकराया—‘‘राजनीति करणीय और अकरणीय पर विचार नहीं करती, आचार्य! वह मात्र अपना लक्ष्य देखती है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“अज्ञात अपराध की भयंकरता ज्ञात अपराध से अधिक होती है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“विपत्ति गाँव झेलते हैं और वैभव का आनंद नगर लेते हैं।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“वस्तुतः भगवान् कुछ और नहीं है, वह दुर्बल मन का आलंबन है। डूबते को तिनके का सहारा है। अभाव और व्यग्रता में एक भरोसा है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“नारद की भविष्यवाणी वह मरीचिका थी, जिसके पीछे मेरे माता-पिता की आशा का मृग दौड़ने लगा।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“कोई किसीको सिखा नहीं सकता, नंद! जीवन में बड़ी क्रियमाण शक्ति होती है। वह स्वयं तैर लेता है। उसे तो केवल डूबते समय सहारे की आवश्यकता होती है। और संसार इतना ही कर भी सकता है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
“राजनीति कहती है कि एक बार अविश्वस्त ठहराए गए व्यक्ति का कभी विश्वास मत करो; जबकि नीति अविश्वस्त का भी विश्वास करके उसे विश्वस्त बना लेने पर जोर देती है।”
― नारद की भविष्यवाणी
― नारद की भविष्यवाणी
