Terms and Conditions Apply Quotes

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Terms and Conditions Apply Terms and Conditions Apply by Divya Prakash Dubey
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Terms and Conditions Apply Quotes Showing 1-10 of 10
“मुझे शुरू से कार ड्राइव करने वाली और गाली देने वाली लड़कियाँ बहुत पसंद थीं। ऐसा लगता था कि कम-से-कम ये तो कुछ भी सहती नहीं होंगी सब अपनी मर्जी से करती होंगी”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“ये वैसे ही जैसे आप किसी की ईमानदारी की तारीफ करिए तो लोग विश्वास नहीं करते लेकिन अगर किसी के character को लेकर कितना भी झूठा किस्सा अपने मन से बना के सुना दीजिये तो लोग तुरंत मान जाते हैं ,कोई सवाल नहीं पूछता”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“इंजीनियरिंग कॉलेज में अगर कोई लड़का नोट्स बनाता है तो उसको सच्चा इंजीनियर नहीं बोला जा सकता। कभी-कभी लगता है अगर कॉलेज में लड़कियाँ ना होतीं तो कभी किसी भी इंजीनियरिंग कॉलेज में कोई नोट्स बन ही ना पाता। जैसा हर लड़की के साथ होता है, जैसे-जैसे वो करीब आती है उसकी टोका-टाकी बढ़ जाती है। एक दिन ऐसा भी आता है जब हॉस्टल जाने से पहले वो bye के साथ take care भी बोलने लगती है। सुबह breakfast के लिए उठाने लगती है। पेपर में पहले से ही नोट्स की एक फोटोकॉपी बना के रखती है। ये सभी प्यार/फ्रेंडशिप जैसी चीज के symptom हुआ करते थे, हुआ करते हैं। प्यार लड़के की तरफ से और फ्रेंडशिप लड़की कि तरफ से।”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“कुछ लोग सुख में ज़्यादा खा लेते हैं और दुख में खा नहीं पाते। पांडे जी आदत से एकदम कम्यूनिस्ट थे। inter-cast शादी हो या तेरहवीं दोनों में समान भाव से खाते थे।”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“क्यूँ ये आदमी आदमी बनने पर तुला हुआ था”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“इंजीनियरिंग कॉलेज में लिखने वाले लोग अक्सर ही कम होते हैं, इसलिए जो थोड़े बहुत लिखने वाले होते हैं उनकी कैमिस्ट्री तुरंत मैच कर जाती है। बातें कब किताबों से शुरू होती थी और उनके characters पर खतम। वो जो एक दूसरे से सीधे नहीं बोल पाते थे। किसी किताब में कोई-न-कोई character वो बात बोल देता था। दोनों को कई बार एक दूसरे जो बोलना होता था वो किताब में निशान लगा कर बता दिया करते थे.”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“ट्रेन में एसी वाले डिब्बे की जनरल वाले डिब्बे के बीच की दूरी केवल कुछ डिब्बों की नहीं होती, कुछ सौ पचास मीटर की नहीं होती, कई सालों की होती है।”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“मोक्षानंद’- जब आदमी आनंद की पराकाष्ठा जीते जी प्राप्त कर लेता। ठीक वैसा आनंद जैसा दुर्योधन को पांडवों को चौपड़ में हरा कर प्राप्त हुआ था और दुस्शासन को द्रोपदी का चीर हर कर प्राप्त होने वाला ही था”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“बहुत ही अजीब हो जाता है जब भी कभी आपको सांत्वना व्यक्त करनी पड़े, sympathy दिखानी पड़े। कई ऐसे मौके आते हैं जब आपको किसी के बाप के मरने पर कोई दुख नहीं होता। ना ही किसी की लड़की के घर से भाग जाने पर ढेला भी फर्क पड़ता है। लेकिन समाज की रघुकुल रीत ही कुछ ऐसी है कि सांत्वना दर्ज़ करानी ही पड़ती है”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“मियाँ आदमी हो कि गधे हो। किसी के थोड़ा-सा काम करने में कोई घिसता थोड़े है”
Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply