कामायनी Quotes
कामायनी
by
जयशंकर प्रसाद631 ratings, 4.25 average rating, 20 reviews
कामायनी Quotes
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“नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में, पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में।”
― कामायनी
― कामायनी
“कालिमा धुलने लगी घुलने लगा आलोक, इसी निभृत अनंत में बसने लगा अब लोक। इस निशामुख की मनोहर सुधामय मुसक्यान, देखकर सब भूल जाएँ दु:ख के अनुमान।”
― कामायनी
― कामायनी
“मैं अतृप्त आलोक-भिखारी ओ प्रकाश- बालिके ॐ बता, कब डूबेगी प्यास हमारी इन मधु-अधरों के रस में?”
― कामायनी
― कामायनी
“सुंदर मुख, आँखों की आशा, किंतु हुए ये किसके हैं, एक बाँकपन प्रतिपद-शशि का, भरे भाव कुछ रिस के हैं,”
― कामायनी
― कामायनी
“इडा ढालती थी वह आसव, जिसकी बुझती प्यास नहीं, तृषित कंठ को, पी-पीकर भी जिसमें है विश्वास नहीं,”
― कामायनी
― कामायनी
“वह सुंदर आलोक किरन सी हृदय भेदिनी दृष्टि लिये, जिधर देखती -खुल जाते हैं तम ने जो पथ बंद किये।”
― कामायनी
― कामायनी
“प्रणय किरण का कोमल बंधन मुक्ति बना बढता जाता, दूर, किंतु जितना प्रतिपल वह हृदय समीप हुआ जाता”
― कामायनी
― कामायनी
“मैं रूठूँ माँ और मना तू, कितनी अच्छी बात कही ॐ ले मैं सोता हूँ अब जाकर, बोलूँगा मैं आज नहीं,”
― कामायनी
― कामायनी
“अरे मधुर है कष्ट पूर्ण भी जीवन की वीती घडियाँ — जब निस्संबल होकर कोई जोड रहा बिखरी कडियाँ।”
― कामायनी
― कामायनी
