Baat Jazbaat Ki Quotes

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Baat Jazbaat Ki Baat Jazbaat Ki by Sandeep Atre
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“सभी कुछ है मगर इक फांस सी
चुभती है क्यों फिर भी
वो क्या है जो नहीं भरता
वो क्या है जो अधूरा है.
ये कैसी ख़ोज है जो ख़त्म
होकर भी नहीं होती
ये कैसी प्यास है जो
दिन-ब-दिन बढ़ती ही जाती है... !!”
Sandeep Atre, Baat Jazbaat Ki
“कितना कमज़ोर है अपना यक़ीन अपने पर
ज़रा सवाल उठे और दरकने लगता है
अपना खुद से भी है रिश्ता भला बेशर्त कहाँ
जो बदले रोशनी साया सरकने लगता है... !!”
Sandeep Atre, Baat Jazbaat Ki
“वो गया और साथ अपने मेरी हस्ती ले गया
एक घर खाली हुआ और सारी बस्ती ले गया...
जाने कैसा साल था बस इक बरस के दरम्याँ
सारी हिकमत दे गया और सारी मस्ती ले गया... !!”
Sandeep Atre, Baat Jazbaat Ki
“रोज़ कतरों में मरा करते हैं
रोज़ टुकड़ो में जिया करते हैं
उस पे जतलाते हैं जैसे जी कर
कोई एहसान किया करते हैं... !!”
Sandeep Atre, Baat Jazbaat Ki
tags: living
“क्यों बेमतलब किसी से
बाद में कोई गिला रखना
ये बेहतर है कि पहले से ही
थोड़ा फ़ासला रखना... !!”
Sandeep Atre, Baat Jazbaat Ki