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“अब अच्छे घर की जररत न थी। अच्छे वर की जरूरत न थी। अभागिनी को अच्छा घर-वर कहा मिलता! अब तो किसी भाति सिर का बोझा उतारना था, किसी भाति लडकी को पार लगाना था, उसे कुएं मे झोकना था। यह रूपवती है, गुणशीला है, चतुर है, कुलीन है, तो हुआ करे, दहेज नही तो उसके सारे गुण दोष है, दहेज हो तो सारे दोष गुण है। प्राणी का कोई मूलय नही,”
― निर्मला
― निर्मला
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