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Divya Prakash Dubey
“कोई लड़की या लड़का अगर पूछे कि क्यों मिलना है और सामने वाला अगर उसका बिलकुल ठीक-ठीक जवाब दे दे तो उससे कभी नहीं मिलना चाहिए। अगर कोई बोले कि ‘मिलकर देखते हैं’, उससे जरूर मिलना चाहिए। मिलकर देखने में एक उम्मीद है कुछ ढूँढ़ने की, थोड़ा रस्ता भटकने की, थोड़ा सुस्ताने की। उम्मीद इस बात की भी कि नाउम्मीदी मिले लेकिन इतना सोच-समझकर चले भी तो क्या खाक चले!”
Divya Prakash Dubey, अक्टूबर जंक्शन

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