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“एक कालजयी निबन्ध लिखा जिसका शीर्षक था “आदर्श भंगी” : ब्राह्मण का कर्तव्य है, आत्मा की स्वच्छता की देखभाल करना, भंगी का कर्तव्य है, समाज के शरीर की स्वच्छता की देख-रेख करना...और फिर भी हमारे शोक में डूबे भारतीय समाज ने भंगी के ऊपर त्याज्य चंडाल के रूप में ठप्पा लगा दिया, उसे समाजिक मापदंड के बिलकुल निचले तल्ले पर ला कर छोड़ दिया, उसे केवल ठोकर मारने और गाली देने के क़ाबिल समझा, एक पशु, जो सवर्ण लोगों की जूठन खा कर जीवित रहे और गोबर के ढेर पर निवास करे। यदि हमने भंगी की हैसियत को ब्राह्मण के समकक्ष उचित मान्यता दे दी होती, तो आज हमारे गाँव और उसके निवासी स्वच्छता और उत्तम व्यवस्था की उज्ज्वल तस्वीर होते। और मैं इसीलिए बेझिझक और बिना शक, दो टूक शब्दों में, यह कह सकता हूँ कि जब तक, ब्राह्मण और भंगी के बीच की असमान पहचान मिटाई नहीं जाएगी, हमारा समाज स्वास्थ्य, समृद्धि, शान्ति और खुशियों से हमेशा वंचित रहेगा।”
― Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
― Ek Tha Doctor Ek Tha Sant
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