Ramdhari Singh 'Dinkar' > Quotes > Quote > Shakti liked it
“देवराज! जीवन में आगे और कीर्त्ति क्या लूँगा? इससे बढ़कर दान अनुपम भला किसे, क्या दूँगा? अब जाकर कहिये कि ‘पुत्र! मैं वृथा नहीं आया हूँ, अर्जुन! तेरे लिए कर्ण से विजय माँग लाया हूँ।”
― रश्मिरथी
― रश्मिरथी
No comments have been added yet.
